Acharya Ajay Kumar Mishra
Lagatar Desk: होली इस बार आठ मार्च यानी बुधवार को मनाई जा रही है. लेकिन होलिका दहन को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन है. कहीं होलिका दहन 6 मार्च को देर रात किया जायेगा. तो कहीं 7 मार्च की शाम को होलिका दहन मनाया जायेगा. आचार्य अजय कुमार मिश्रा के अनुसार, होलिका दहन आज रात 1.30 बजे के बाद किया जायेगा.
आचार्य अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि पंचांग के अनुसार, इस साल पूर्णिमा तिथि दो दिन होने के कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर काफी समस्या उत्पन्न हो रही है. कई जगहों पर 6 को तो कई जगहों पर 7 मार्च को होलिका दहन किया जा रहा है. होलिका दहन का मुहूर्त तीन चीजों पर निर्भर करता है. पूर्णिमा तिथि, प्रदोष काल और भद्रा न हो. ऐसा बहुत ही कम होता है कि होलिका दहन इन तीनों चीजों के साथ होने पर हो. लेकिन पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का होना बेहद जरूरी है. पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन करना शुभ माना जाता है. होलिका दहन 6 और 7 मार्च के बीच रात 1.30 बजे के बाद किया जायेगा.
होलिका दहन का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है. क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है. इसके साथ ही इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. इतना ही नहीं इसके साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं.
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका की पूजा से पहले भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें. इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें. इसके साथ ही भोग लगा दें. फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों ओर परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा कर लें. इसके बाद होलिका में जल का अर्घ्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें. फिर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें. होलिका दहन के समय अग्नि में कंडे, उबटन, गेहूं की बाली, गन्ना, चावल आदि अर्पित करें. इसके साथ ही होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा.
इसे भी पढ़ें: RSS की महिलाओं को सलाह, राम-हनुमान का जिक्र कर कहा, गर्भावस्था में धार्मिक पुस्तकें पढ़ें