Virendra Rawat
Ranchi : अगर आप रांची विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने के इच्छुक हैं तो भी आपको कमरा नहीं मिल पायेगा. कमरा सिर्फ जुगाड़ तकनीक से ही संभव है. बता दें कि रांची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू (डीन ऑफ वेलफेयर) आरके शर्मा को भी रांची विश्वविद्यालय के हॉस्टल में प्रवेश के लिए कितना शुल्क लगता है इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि व्यवस्था चरमरा गई है और इस व्यवस्था को दुरुस्त करने में मुझे समय की दरकार है.
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एक विद्यार्थी से एक सेमेस्टर के लिए 1500 रुपए विभाग वसूलता है
उन्होंने बताया कि फिलहाल एक विद्यार्थी से एक सेमेस्टर के लिए 1500 रुपए विभाग वसूलता है. हालांकि यह पैसा विभाग तक पहुंच रहा है या नहीं, इसकी भी जानकारी विभाग के पदाधिकारी को नहीं है. मतलब साफ है कि रांची विश्वविद्यालय का हॉस्टल पूरी तरह से कब्जे में है, यह कब्जा रांची विश्वविद्यालय का नहीं बल्कि स्थानीय दबंग विद्यार्थियों का है. डीएसडब्ल्यू डॉक्टर आरके शर्मा ने बताया कि हॉस्टल से संबंधित फाइल मेरे कमरे में नहीं है और हॉस्टल से संबंधित जानकारी भी मुझ तक नहीं पहुंचायी जा रही है. हालांकि इस व्यवस्था से मैं नाराज हूं और यह व्यवस्था को जल्द दुरुस्त करने का प्रयास करूंगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल पीजी विभाग में 200 बेड हैं और प्रत्येक कमरे में 3 विद्यार्थियों को रहने की अनुमति है. वही गर्ल्स हॉस्टल के लिए 75 बेड है. प्रत्येक कमरे में तीन महिला विद्यार्थियों को रहने की अनुमति है. वही विभाग के पास बॉयस हॉस्टल का कोई भी कागजात नहीं है.
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हॉस्टल में कमरे के लिए कैसे करें आवेदन
रांची विश्वविद्यालय के हॉस्टल में कमरे के लिए रांची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू के पास कमरे से संबंधित आपको एक आवेदन देनी पड़ती है. उस आवेदन पर डीएसडब्ल्यू की सहमति के बाद आपको कमरा मिलता है. हालांकि फिलहाल कितने कमरे रांची विश्वविद्यालय के हॉस्टल में खाली हैं, इसकी भी जानकारी डीएसडब्ल्यू को नहीं है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि रांची विश्वविद्यालय के हॉस्टल की स्थिति क्या है और विभाग हॉस्टल को लेकर कितना गंभीर है.
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सिर्फ समय पर हॉस्टल का बिजली बिल भर रहा है रांची विश्वविद्यालय
वही बता दें कि आपको रांची विश्वविद्यालय के हॉस्टल का हर महीना बिजली बिल 10 से 12 हजार रुपये आता है. और बिजली बिल ही सिर्फ समय पर विश्वविद्यालय भरता है. हॉस्टल से विश्वविद्यालय को कितना राजस्व आता है इसकी तक जानकारी डीएसडब्ल्यू को नहीं है.
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ऑनलाइन के दौर में भी, हॉस्टल के लिए ऑफलाइन भरना पड़ेगा फॉर्म
भारत सरकार और झारखंड सरकार डिजिटल सेवाओं में तेजी से बढ़ रही है. डिजिटल सेवाओं से पारदर्शिता बढ़ती है. पर रांची विश्वविद्यालय के हॉस्टल में अगर आपको कमरा लेना है तो आपको हॉस्टल का फॉर्म ऑफलाइन ही भरना पड़ेगा. और जब ऊपर से पैरवी होगी तभी आपको हॉस्टल में कमरा मिल पायेगा.
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क्या कहते हैं डीएसडब्ल्यू डॉ आरके शर्मा
रांची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ आर के शर्मा ने बताया कि फिलहाल हॉस्टल की स्थिति चरमराई हुई है. इस व्यवस्था को ठीक करने में मुझे थोड़ा समय लगेगा. इसके बाद ही सारी जानकारी पब्लिक डोमेन में आ पाएगी. जो पूर्व में डीएसडब्लू थे उन्होंने व्यवस्था को डगमगाने का काम किया है.
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