NewDelhi : देश में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 438 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.34 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा इजाफा होने की जानकारी सामने आयी है. मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार परियोजनाओं में देर सहित अन्य कारणों की वजह से परियोजनाओं की लागत में इजाफा हुआ है.
जान लें कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है. मंत्रालय की अक्टूबर-2021 की रिपोर्ट कहती है कि इस तरह की 1,680 परियोजनाओं में से 438 की लागत बढ़ी है, जबकि 539 परियोजनाएं देर से चल रही हैं.
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अक्टूबर 2021 तक खर्च हो चुके हैं 12.64 लाख करोड़
रिपोर्ट के अनुसार 1680 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,74,182.86 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 26,08,330.02 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.97 प्रतिशत या 4,34,147.16 करोड़ रुपये बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर-2021 तक इन परियोजनाओं पर 12,64,545.31 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 48.48 प्रतिशत है. हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 377 पर आ जायेगी. रिपोर्ट में 837 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गयी है.
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539 प्रोजेक्ट की देर का औसत समय 47.16 माह
रिपोर्ट में कहा गया है कि देर से चल रही 539 परियोजनाओं में से 98 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 109 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 211 परियोजनाएं 25 से 60 महीने तथा 121 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देर से चल रही हैं. इन 539 परियोजनाओं की देर का औसत 47.16 महीने है.
कहा गया है कि इन परियोजनाओं की देर के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देर तथा बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं. इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देर के लिए जिम्मेदार हैं.
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