Ranchi : मांडर विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरना धर्म कोड की मांग के लिये आंदोलन करनेवाले आज आदिवासी धर्म कोड की मांग कर समाज के लोगों को गुमराह कर रहे हैं. जब राज्य सरकार सरना धर्म कोड के लिये विशेष सत्र बुला रही है तो ये लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं.
बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासी / सरना के स्थान पर सिर्फ सरकार की ओर सरना धर्म कोड का प्रस्ताव लाना सरना धर्मावलंबियों को संवैधानिक अधिकार के लिये जरूरी है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के कई लोग अन्य धर्म को भी मानने वाले हैं. ऐसे में प्रकृति पूजक आदिवासी समुदाय के हितों की रक्षा के लिय सरना धर्म कोड का ही प्रस्ताव विधानसभा में लाया जाना चाहिए. बंधु तिर्की ने कहा कि देश में 2020 से ही जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो रही है. उन्होंने कहा की जनगणना में सरना धर्म का कॉलम जोड़ने की भी मांग की है.
देश में सरना को कॉमन नाम के रूप में स्वीकार किया जा सकता है
बंधु तिकी ने कहा कि विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और वे मूर्ति पूजक नहीं है. भारत के अधिकांश प्रदेशों में अधिकांश आदिवासी सरना धर्म के नाम पर इसे अभिव्यक्त करते हैं. अतएव सरना धर्म को सभी प्रदेशों में कॉमन नाम के रूप में स्वीकार किया जा सकता है.
प्रकृति पूजक आदिवासियों की पहचान के लिये सरना धर्म कोड जरूरी
बंधु तिर्की ने कहा प्रकृति पूजक आदिवासियों की पहचान और उनके संवैधानिक आधिकारों की रक्षा के लिए अलग सरना धर्म कोड जरूरी है. अगर सरना धर्म कोड मिल जाता है तो इसके दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे. सरना धर्म कोड बन जाने से जनगणना में आदिवासियों की गिनती स्पष्ट रूप से हो सकेगी. इससे आदिवासियों की जनसंख्या का आकलन हो सकेगा. साथ ही आदिवासियों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों, पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का लाभ प्राप्त हो सकेगा.