Sriharikota : दुनिया भर की नजरें इसरो के मून मिशन (चंद्रयान-3) पर टिकी हुई हैं. बता दें कि भारत का Chandrayaan-3) मून मिशन की तरफ लगातार आगे बढ़ रहा है. 9 अगस्त को इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 चंद्रमा के नजदीक पहुंचता जा रहा है. दोपहर के समय इसका ऑर्बिट बदलकर 5000 किलोमीटर की आर्बिट में प्रवेश कराया गया. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Chandrayaan-3 Mission:
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Lander Imager (LI) Camera
on the day of the launch
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🌖 imaged by
Lander Horizontal Velocity Camera (LHVC)
a day after the Lunar Orbit InsertionLI & LHV cameras are developed by SAC & LEOS, respectively https://t.co/tKlKjieQJS… pic.twitter.com/6QISmdsdRS
— ISRO (@isro) August 10, 2023
14 अगस्त को गति को घटाकर 1000 किलोमीटर किया जायेगा
इसरो के अनुसार अब महज तीन चरण बाकी हैं. इसरो की कोशिश है कि चांद पर यान की सॉफ्ट लैंडिंग हो सके. अगर लैंडिंग के वक्त स्पीड ज्यादा रही तो लैंडिंग में परेशानी हो सकती है. अगले चरण में 14 अगस्त को इसकी गति को घटाकर 1000 किलोमीटर किया जायेगा. पांचवें ऑर्बिट मैन्यूवर में इसे 100 किलोमीटर की कक्षा में डाला जायेगा. इस क्रम में 23 अगस्त को चंद्रयान-3 इतिहास रचेगा. इस दिन शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश कराई जायेगी.
9 अगस्त को चांद पर मौजूद ट्रैफिक का जायजा लिया
9 अगस्त को उसने चांद पर मौजूद ट्रैफिक(उल्का पिंड, ग्रह और यान) का जायजा लिया, जो चांद की कक्षा पर पहले से घूम रहे हैं. हालांकि इनमें से कई यान निष्क्रिय हो गये हैं. एक बात और कि रूस का लूना-25 भी मून मिशन पर जाने को तैयार है. संभावना है कि लूना-25 और चंद्रयान-3 की चांद की लैंडिंग उसी दिन हो सकती है.
रोस्कोस्मोस ने कहा, किसी के भी मून मिशन को खतरा नहीं
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा है कि उसके और भारत के यान के आपस में टकराने की संभावना नहीं के बराबर है. रोस्कोस्मोस का कहना है कि चांद पर काफी स्पेस है, इसलिए किसी के भी(भारत-रूस) मून मिशन को कोई खतरा नहीं है. रोस्कोस्मोस के अनुसार लूना-25 के लिए प्राथमिक लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव(दक्षिण-पश्चिम) के पास है. चंद्रयान-3 की बात करें तो इसका लैंडिंग स्थल दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है.