Jamshedpur (Sunil Pandey) : खाद्य, आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग, के तत्वाधान में शुक्रवार को जिला सभागार में राईस फोर्टिफिकेशन विषय पर बहुहितधारक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल को लेकर फैले मिथकों को दूर करने तथा तथ्यों को बताने का प्रयास किया गया. कार्यशाला में आए विशेषज्ञों ने फोर्टिफाइड चावल को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया तथा इसे स्वास्थ्य के लिए हितकारी बताया. कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त विजया जाधव ने इस बात पर जोर दिया कि “राईस फोर्टिफिकेषन” से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों और इसके एनिमिया रोकथाम में फायदे को जन-जन तक पहुंचाना अनिवार्य है. इसके लिए राशन दुकानों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, विद्यालयों, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से फोर्टिफाईड राईस के फायदों से जन-जन को अवगत कराना बहुत जरूरी है. इस कार्यशाला में एम्स दिल्ली, एफएसएसएआई, रिम्स रांची, राज्य नोडल अधिकारी- फूड फोर्टिफिकेशन, एनएफएसए के विशेषज्ञ शामिल हुए.
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झारखंड में हर उम्र के लोगों मे एनीमिया का औसत ज्यादा
कार्यशाला में अपना वक्तव्य रखते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि एनएफएचएस के मुताबिक झारखंड में 06-59 महीने की आयु के 67.5% बच्चे एनीमिक हैं जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है. इसी तरह 15-49 वर्ष की 56.8% गर्भवती महिलाएं, 15-19 वर्ष की आयु के 65.8% किशोर और 15-49 वर्ष के 29.6% पुरुष एनीमिक हैं जो अपने आप में गंभीरता को दर्शाते हैं. विभागीय उप सचिव एलपी शर्मा ने इस योजना पर प्रकाश डाला और बताया कि राष्ट्रीय खाद्य, सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत जन वितरण प्रणाली दुकान, आईसीडीएस और पीएम पोषण के तहत दिए जा रहे फोर्टिफाईड राईस का समुदाय पर हो रहे साकारात्मक प्रभाव का अध्ययन नीति आयोग द्वारा आने वाले समय में पूर्वी सिंहभूम में किया जाएगा.
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पायल प्रोजेक्ट के तहत दो प्रखंडो में चालू है योजना
खाद्य आपूर्ति विभाग ने वर्ष 2021 में पूर्वी सिंहभूम जिला के दो प्रखंड धालभूमगढ़ और चाकुलिया में एक पायलट योजना शुरू की थी और पायलट योजना की सफलता के बाद इसे राज्य के 24 जिलों में बढ़ाया जाएगा, झारखंड सरकार ने हाल ही में इस पर कैबिनेट की मंजूरी दी है. झारखंड राज्य 24 जिलों में पीडीएस के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल वितरित करने के लिए कार्यक्रम शुरू करने के लिए तैयार है। हालांकि, कुछ खाद्य अधिकार कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया प्रभावित व्यक्ति पर फोर्टिफाइड चावल की खपत को लेकर चिंता जाहिर की गई है. इस कार्यशाला के माध्यम से इस तरह के प्रश्नों को बहुत अच्छी तरह से संबोधित किया गया और फोर्टीफाइड चावल पर कई मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने को लेकर प्रकाश डाला गया.
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फोर्टिफाइड राईस में है भरपूर पोष- सिरिमाओ
कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों द्वारा फोर्टीफाइड चावल क्यों जरूरी है तथा इसके क्या फायदे हैं जैसे विटामिन ए, आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर फोर्टिफाइड चावल के सेवन के लाभों पर विशेष तौर पर प्रकाश डाला गया. एमएस यूनिवर्सिटी, बडौदा की डॉ सिरिमाओ नायर ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल का सेवन एक लाभकारी कार्यक्रम है, इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. जनसंख्या और हमारे द्वारा खाए जाने वाले आहारों पर व्यापक दृष्टिकोण को देखते हुए मानकों के स्तर को ध्यान में रखा जाता है. भारत में हमारे पास पहले से ही 6-7 अध्ययन हैं, जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं.
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आदिवासी आबादी को इसकी सख्त जरूरत- डॉ.देवेश
रिम्स के एक अन्य विशेषज्ञ डॉ. देवेश कुमार ने कहा कि आदिवासी आबादी, विशेष रूप से पीवीटीजी के लिए, फोर्टिफाइड चावल महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी थाली में वास्तव में पोषण की कमी होती है. यह झारखंड में प्रचलित हीमोग्लोबिनोपैथी को ध्यान में रखते हुए किया गया है. एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. कपिल यादव ने कहा कि “फूड फोर्टिफिकेशन भारत और झारखंड राज्य में एनीमिया के नियंत्रण के लिए प्रमुख रणनीतियों में से एक है. झारखंड सरकार के समर्थन से भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से स्वास्थ्य एवं पोषण के मामले में हाशिए पर रहने वाले बड़े आबादी के लिए फोर्टिफाइड चावल प्रदान करने की योजना है जो खासकर झारखंड राज्य की महिलाएं और बच्चे के लिए काफी फायदेमंद होगा.
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कार्यशाला में ये लोग थे मौजूद
जिले के विधायकों के प्रतिनिधि, जिला परिषद अध्यक्ष बारी मुर्मू, उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, प्रखंड प्रमुख, एमडी जेएसएफसीएल यतींद्र प्रसाद, अतिरिक्त सचिव सतीश चौधरी, प्रभात कुमार, डीएफपीडी, झारखंड सरकार, दिलीप तिर्की, डॉ सुधीर मकनीकर, निदेशक पीएटीएच, सिविल सर्जन डॉ साहिर पालस जिला आपूर्ति पदाधिकारी, राजीव रंजन डीपीआरओ रोहित कुमार, रोहिणी सरन, अभिषेक कुमार, सभी एमओआईसी, सीडीपीओ, राईस मिलर तथा अन्य उपस्थित थे.
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