Jamshedpur (Ashok Kumar) : पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा है कि साहिबगंज जिला के पतना में ग्राम प्रधान सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ग्राम प्रधानों का मानदेय बढ़ाने पर विचार किया जाएगा. सोरेन द्वारा अपनी वोट बैंक की लालच और स्वार्थ के लिए आदिवासी ग्राम प्रधानों अर्थात माझी-परगना आदि को 1000 मासिक से बढ़ाकर ज्यादा करने की घोषणा करना आदिवासी गांव समाज हित में नहीं है. बल्कि कुछ गलत लोगों के लाभार्थ होगा. क्योंकि पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के अगुआ माझी-परगना आदि ने आदिवासी समाज में नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, वोट को हंड़िया-दारु, रुपये में खरीद बिक्री करना, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता आदि मामलों पर सुधार के लिये अबतक कुछ भी नहीं किया है. उल्टा संविधान, कानून, मानव अधिकारों का निरंतर गला घोंटने का काम किया है. आदिवासी समाज को अंधकार में रखने का तानाशाही रवैया चालू रखा है.
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वोट बैंक सुदृढ करना चाहते हैं सीएम
मासिक मानदेय बढ़ाने का उद्देश्य समाज सुधार करना नहीं है बल्कि ग्राम प्रधानों की ओर से अपनी वोट बैंक को सुदृढ़ करना है. सेंगेल इसका विरोध करता है. जरूरी हुआ तो इसके खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर रोक सकता है. परंतु यदि प्रत्येक गांव समाज के ग्राम प्रधान को गांव समाज के सभी स्त्री-पुरुष मिलकर जनतांत्रिक तरीके से एक निश्चित समय अवधि (1 साल) के लिए मनोनीत करेंगे तो उसको मानदेय देना जनहित में हो सकता है. अन्यथा वंशानुगत ग्राम प्रधानों को मानदेय देना गलत को जारी रखना और साथ देने जैसा है.
ट्राइवल सेल्फ रूल सिस्टम में हो सुधार
आदिवासी सेंगेल अभियान की मांग है पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम (टीएसआरएस) में सुधार हो, लोकतंत्र और संविधान, कानून, मानव अधिकार लागू हो. क्योंकि वर्तमान ग्राम प्रधान या माझी बाबा वंशानुगत है और अधिसंख्यक अशिक्षित, नशा करने वाले तथा संविधान, कानून, मानव अधिकारों से अनभिज्ञ हैं. मनमर्जी डंडोम (जुर्माना), बारोंन (सामाजिक बहिष्कार) और डान-पनते (डायन शिकार) करते हैं. जो अपराधिक कृत्य है. मगर टीएसआरएस के माझी-परगना आदि इसको अपना पारंपरिक अधिकार मानकर गांव समाज के आदिवासियों के साथ घोर अन्याय, अत्याचार, शोषण करते हैं. सेंगेल ने इस कुव्यवस्था में सुधार के लिये पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को 16 मार्च 2022 को पत्र लिखा था. जिसका संज्ञान राष्ट्रपति सचिवालय ने पत्र संख्या 17/28/2022 तिथि- 30 मार्च 2022 के द्वारा किया है. इस बिंदु पर वर्तमान महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 26 अगस्त 2022 को राष्ट्रपति भवन में मिलकर ज्ञापन देकर इसमें अविलंब सुधार की मांग की है. उन्होंने भी एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर इसकी जांच और उचित सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया है. ताकि आदिवासी गांव समाज में जनतंत्र और संविधान अविलंब लागू हो सके.
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