Jamshedpur (Sunil Pandey) : पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में स्वीकृत जनहित की योजनाओं को यथाशीघ्र पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखा है. इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव को भी भेजी गई है. अपने पत्र में श्री दास ने हेमंत सरकार पर उनके मुख्यमंत्रित्व काल की योजनाओं को नजरअंदाज करने पर अफसोस प्रकट करते हुए लिखा है कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन राज्य में विकास की गाड़ी अनवरत चलती रहती है. यही विकास धर्म है. इसी में जनहित है. उन्होंने लिखा है कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने के लिए कई योजनाओं को धरातल पर लाने की हरसंभव कोशिश की गयी. इनमें से कुछ योजनाएं पूरी हो गयी तो कुछ निर्माणाधीन रह गयीं. ऐसी निर्माणाधीन योजनाओं को पूरा करने तथा प्रभावी क्रियान्वयन का दायित्व उनकी सरकार पर है. लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि इस मामले में उनकी सरकार ने पूरी मुस्तैदी नहीं दिखायी. इसका नतीजा यह हुआ कि कुछ जनहित की योजनाएं कब तक पूरी होगी, नहीं कहा जा सकता है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण प्रधानमंत्री आवास योजना का बड़े पैमाने पर लंबित होना है. अकेले जमशेदपुर की बात की जाये तो यहां लगभग दस हजार आवास इकाई का निर्माण होना है, उनमें बड़ी संख्या में निर्माण अधूरे पड़े हैं अथवा प्रारंभ ही नहीं हुए हैं.
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2019 में बनी प्रोफेशनल कॉलेज की इमारत बनी खंडहर
पत्र में जमशेदपुर इंजीनियरिंग प्रोफेशनल कॉलेज की चर्चा करते हुए कहा गया कि इस कॉलेज की इमारत वर्ष 2019 में बनकर तैयार हो गयी थी आज यह भव्य इमारत आज खंडहर में तब्दील हो चुकी है. करोड़ों की लागत से बने इस भवन में कुल 240 इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को अध्ययन करना था. वर्ष 2021 के जुलाई महीने में इस कॉलेज में 120 कंप्यूटर साइंस, 60 मैकेनिकल इंजीनियरिंग और 60 मेटालॉजिकल के विद्यार्थियों के नामांकन की मान्यता अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा दी गयी थी. एआईसीटीई की मान्यता आते-आते कॉलेज भवन खंडहर बन चुका था. दरअसल कोविड-19 के प्रथम चरण में 20 मार्च 2020 से 20 नवंबर 2020 तक इस कॉलेज भवन को कोविड का आइसोलेशन सेंटर बना दिया गया था. देखरेख के अभाव में अवांछित तत्व इस भवन के खिड़की-दरवाजे और होम फीटिंग निकाल कर ले जा चुके हैं.
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संचालन की किसी संस्थान ने नहीं ली जिम्मेवारी
पत्र में बताया गया है कि वर्ष 2021 के जुलाई महीने में जमशेदपुर इंजीनियरिंग प्रोफेशनल कॉलेज को एआईसीटीई की मान्यता मिलने के बावजूद 2021-22 के सत्र में यहां विद्यार्थियों का नामांकन नहीं हो सका. बताया यह गया कि इस कॉलेज के संचालन का जिम्मा पीपीपी मोड पर निजी इंजीनियरिंग संस्थान या बड़े उद्योग को दी जानी थी. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने 5 सितंबर 2021 को इस इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालन के लिए इच्छा की अभिव्यक्ति (ई.ओ.आई.) आमंत्रित किया था. इसमें यह शर्त रखी थी कि नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.ई.आर.एफ.) की रैंकिंग में टॉप 100 में शामिल इंजीनियरिंग संस्थानों या बड़े उद्योगों में से ही इस इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन इस कॉलेज के संचालन की शर्तें पूरी करने वाले किसी संस्थान ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली.
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जमशेदपुर महिला विवि में शुरु हो पठन-पाठन
इस संदर्भ में उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि जिस जमशेदपुर इंजीनियरिंग प्रोफेशनल कॉलेज के संचालन में आये व्यवधान के कारण कॉलेज प्रारंभ नहीं होने को कारण बताया गया. लेकिन करोड़ों के भवन के खंडहर होने की चर्चा नहीं की गयी. हां, इसी व्यवधान के बहाने यह कहा गया कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग 2020-21 सत्र के लिए झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता पर्षद (जेसीईसीईबी) को काउंसलिंग और नामांकन शुरू करने के लिए सूची नहीं भेजी. उन्होंने आग्रह किया है कि सत्यासत्य का पता लगाकर जमशेदपुर इंजीनियरिंग प्रोफेशनल कॉलेज को यथाशीघ्र प्रारंभ करायें. इसी तरह जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय की चर्चा करते हुए कहा है कि इस विश्वविद्यालय भवन का उद्घाटन होने के बावजूद इस भवन में पठन-पाठन प्रारंभ नहीं हुआ है. इस नये भवन में एक प्रशासनिक भवन और दो छात्रावास तैयार है. महज नौ छात्रावास का निर्माण लंबित है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस विश्वविद्यालय की कमियों को दूर कर इसे राज्य का बेहतर विश्वविद्यालय बनाने का आग्रह किया.
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