Ranchi : झारखंड में दो विधानसभा सीट बेरमो और दुमका के लिए चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है. तीन नवंबर को मतदान होगा और दस नवंबर को मतगणना. चुनाव में जीत-हार से सरकार की सेहत पर असर नहीं होगा, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर जरूर है. चुनाव परिणाम से दोनों पक्षों का मनोबल बढ़ेगा या घटेगा, ये तो जनता का सरकार के प्रति नजरिया से ही अंदाजा लगेगा. दोनों पक्षों की ओर से जीत का दावा किया जा रहा है.
मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार गिरने और गिराने की चर्चा कर रही है. सत्ता पक्ष झामुमो व कांग्रेस साजिश का आरोप लगा रही है. हालांकि विधानसभा का आंकड़ा सरकार के पक्ष में है और उपचुनाव के नतीजे के बाद भी रहेगा.
सरकार पर संकट नहीं
राज्य में 81 विधानसभा सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए 41 का आंकड़ा चाहिए. गठबंधन की मौजूदा सरकार झामुमो, कांग्रेस और राजद ने मिलकर बनाया है. हेमंत सरकार को मौजूदा में 45 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. विपक्ष के पास भाजपा और आजसू को मिलाकर 28 विधायक हैं. पिछले दिनों झाविमो का भाजपा में विलय हुआ. इसके एक विधायक बाबूलाल मरांडी भाजपा में और दो विधायक प्रदीप यादव व बंधु तिर्की कांग्रेस के साथ हुए.
अऩ्य राजनीतिक दल और निर्दलीय विधायकों की संख्या 6 है. इसलिए अगर दोनों सीट विपक्ष के पाले में जाता है, फिर भी सरकार पर कोई संकट नहीं आने वाला है. क्योंकि विपक्ष के पास कुल 30 विधायक होंगे. सत्ता पक्ष के पास पहले से जादुई आंकड़ा है, इसलिए दोनों सीट जीत कर सरकार और मजबूत होगी.
नेताओं की भी अग्नि परीक्षा
दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में दुमका और बेरमो दोनों सीट पर सत्ता पक्ष ने जीत दर्ज की थी. झामुमो नेता सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट दो सीटों से चुनाव जीते थे. उन्होंने दुमका सीट छोड़ा, जिससे यह खाली हुआ. कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह बेरमो से चुनाव जीते थे. उनके निधन से यह सीट खाली हुआ है. सत्ता पक्ष दोनों सीट पर कब्जा कायम रखने की फिराक में है. वहीं भाजपा दोनों सीटों पर सेंध लगाने की जुगत में जुटा है.
इस चुनाव से सरकार पर भले ही संकट नहीं हो, लेकिन कई नेताओं की अग्नि परीक्षा भी होगी. खासकर संताल का दुमका हमेशा से हॉट सीट रहा है. यह आदिवासी बाहुल क्षेत्र है. यह विधानसभा सीट आदिवासी समाज पर पकड़ को भी दर्शाता है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उपचुनाव में फिर जीत दर्ज करना उनकी प्रतिष्ठा के साथ जुड़ा है. वहीं भाजपा ने हाल में झाविमो से बाबूलाल मरांडी जैसे कद्दावर नेता को पार्टी में लाया है. बाबूलाल मरांडी के लिए दुमका सीट पार्टी के लिए जीताना एक चुनौती होगा. साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के पद संभालने के बाद यह पहला चुनाव है. इस जीत-हार से निश्चय ही दोनों नेताओं के कद पर असर होगा. यह जीत-हार सरकार के कामकाज का भी आकलन माना जा रहा है. जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट है या फिर विपक्ष के साथ जा रही है, यह भी चुनाव परिणाम दर्शायेगा.
अगले छह महीने में एक और उपचुनाव तय
राज्य सरकार के मंत्री हाजी हुसैन अंसारी का निधन हो गया. उनके निधन से मधुपुर विधानसभा सीट खाली हो गया है. इस सीट पर भी अगले छह महीने के भीतर उपचुनाव होगा. यह क्षेत्र भी संताल में है. इसलिए दुमका और बेरमो उपचुनाव परिणाम का असर मधुपुर विधानसभा पर भी दिखेगा.
विधानसभा में दलगत स्थिति
झामुमो-28
भाजपा- 26 (झाविमो से बाबूलाल मरांडी के शामिल होने के बाद)
कांग्रेस- 17 (झाविमो से प्रदीप यादव व बंधु तिर्की के शामिल होने से)
आजसू-2
कम्युनिस्ठ पार्टी (माले)-1
नेशनल कांग्रेस पार्टी-1
राजद-1
निर्दलीय-2
रिक्त-3