Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने अपना पद संभाल लिया हैं. पूर्व अध्य़क्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने पार्टी मुख्यालय आकर सोमवार को उन्हें पद सौंपा. पद संभालते ही राजेश ठाकुर के समक्ष कई चुनौतियां भी हैं. हालांकि वे लगातार कह रहे हैं कि सभी चुनौतियों को कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर दूर करेंगे. दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी मुख्यालय में अब एक अलग माहौल देखा जा रहा है. प्रदेश के कुछ नेताओं को छोड़ दें, तो नवनियुक्त प्रदेश अध्य़क्ष के आने से अधिकांश कार्यकर्ताओं में खुशी हैं. अंदेशा जताया जा रहा है कि राजेश ठाकुर के अध्यक्ष बनने के बाद संगठन में बदलाव किया जायेगा.
बीस सूत्री, निगरानी, बोर्ड-निगम के जल्द बंटवारा होने की उम्मीद अब कार्यकर्ताओं को है. ऐसे में हमें जानना चाहिए कि राजेश ठाकुर के समक्ष किस तरह की चुनौतियां है. आखिर क्यों, राजेश ठाकुर के अध्य़क्ष बनने से कार्यकर्ताओं में खुशी देखी जा रही है.
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पार्टी में जो बदवाल होगा, वो पूर्व अध्यक्ष नहीं चाहते थे
बता दें कि पूर्व प्रदेश अध्य़क्ष डॉ रामेश्वर उरांव अभी नहीं चाह रहे थे कि वे अभी प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटे. भले ही वे अब गीता का सार (जो कल मेरा था, आज तुम्हारा है, जो आज तुम्हारा है, वह कल दूसरे का होगा) का उदाहरण दे रहे हैं, लेकिन हकीकत यह भी है कि राजेश ठाकुर के आते ही पार्टी संगठन में बहुत कुछ बदलाव होगा. पार्टी के एक नेता का कहना है कि पूर्व प्रदेश अध्य़क्ष ऐसा होने देना अभी नहीं चाहते थे.
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राजेश ठाकुर के सामने है कई चुनौतियां
■ 2019 में सत्ता में आते ही पार्टी के अंदर गुटबाजी बढ़ गई थी, वह किसी से छिपी नहीं है. राजेश ठाकुर को इस गुटबाजी को दूर करना होगा. जो कोई आसान काम नहीं है.
■ सत्ता में भागीदारी के बावजूद हेमंत सरकार की कार्यशैली से कांग्रेस नेताओं में काफी नाराजगी देखी गयी हैं. ट्रांसफर पोस्टिंग पर कांग्रेस के एक मंत्री का सवाल उठाना और महिला विधायकों (दीपिका पांडेय सिंह और अंबा प्रसाद) पर एफआईआर होना. जिसके बाद कांग्रेस में नाराजगी इतनी बढ़ी थी कि एक महिला विधायक ने ट्विटर पर ही हेमंत सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया. जिसे साफ है कि राजेश ठाकुर को सरकार से बातचीत कर अपने नेताओं की नाराजगी को दूर करना होगा.
■ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का पार्टी कोटे के मंत्रियों तक पहुंच आसान नहीं रह गयी है. कार्यकर्ताओं ने प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह तक की इसकी शिकायत की है. इसपर प्रभारी ने मंत्रियों को नसीहत दी थी कि वे कार्यकर्ताओं की बातों को सुने. कार्यकर्ताओं की बात मंत्री तक पहुंचे इसके लिए भी प्रदेश अध्यक्ष को काम करना होगा .
■ हेमंत सरकार के साथ बीस सूत्री, बोर्ड-निगम बंटवारे के लिए एक समिति बनी थी, जिसके सदस्य राजेश ठाकुर भी है. समिति में पहले वे कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर थे, अब प्रदेश अध्यक्ष. टीम में अब उनकी भूमिका बढ़ेगी. समिति के सदस्यों को विश्वास में लेकर राजेश ठाकुर को बंटवारे का काम करना कोई आसान नहीं होगा.
■ सरकार बने हुए करीब 19 माह पूरे हो गये हैं. कांग्रेस पार्टी के कई चुनावी वादों को अभी भी धरातल पर उतारना है. नये अध्य़क्ष के लिए यह एक चुनौती होगी.
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जानिए, प्रदेश अध्यक्ष बदलते ही कार्यकर्ताओं के चेहरे पर क्यों आयी खुशी
■ राजेश ठाकुर का संपर्क सभी सामान्य कार्यकर्ताओं तक हैं. ऐसे में वे अब अपनी बातों और परेशानियों को प्रदेश अध्यक्ष तक रख पाएंगे. पूर्व में यह आसान नहीं था. प्रदेश के एक प्रवक्ता ने तो राजेश ठाकुर के अध्यक्ष बनते ही मोबाइल स्टेटस पर लिखा, “धन्यवाद शीर्ष नेतृत्व, आपने वैसे व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, जिनका हर कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क है”.
■ राजेश ठाकुर के पार्टी के सभी विंग (रांची महानगर कांग्रेस, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, ओबीसी मोर्चा, प्रोफेशनल कांग्रेस) के अध्यक्षों से बेहतर संबंध हैं. जिसका फायदा कांग्रेस पार्टी को काफी मिलेगा.
■ पार्टी में अब किसी एक प्रवक्ताओं का अधिपत्य नहीं रहेगा. जैसा रामेश्वर उरांव के समय (त्रिमूर्ति के रूप में) देखा गया था.
■ कार्यकर्ताओं की लगातार उठ रही “एक व्यक्ति एक पद” की मांग अब पूरी हो गयी है.
■ राजेश ठाकुर न तो विधायक है न ही सांसद. ऐसे में वे अपने को केवल एक क्षेत्र तक सीमित कर नहीं रखेंगे, जैसा पहले देखा जाता था.
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