Shruti Prakash singh
Ranchi : 15 फरवरी 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नामक एक युवती लापता हो गई थी. चुटिया थाने की पुलिस ने इस मामले के आरोप में तीन निर्दोष छात्रों को जेल भेजा था. दरअसल तीनों छात्रों में प्रीति को अपहरण करने और हत्या करने झूठा आरोप लगा था. इस मामले को लेकर सोमवार (18 अप्रैल 2022) को झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए तत्कालीन चुटिया थाना प्रभारी पर हुई विभागीय कार्रवाई के बारे में पूछा है.
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पुलिस ने डीएनए मैच कराए बिना मान लिया शव प्रीति का है
गौरतलब है कि 15 फरवरी 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नाम की एक युवती लापता हो गई थी. ठीक दूसरे ही दिन 16 फरवरी 2014 को बुंडू थाना क्षेत्र स्थित मांझी टोली पक्की रोड के समीप एक युवती का शव बरामद हुआ. शव जले हुए हालत में मिला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि उस युवती की हत्या के बाद अपराधियों ने उसे जला दिया था. शव अज्ञात था, पुलिस ने प्रीति के परिजनों को पहचान करने को कहा. कद-काठी लगभग एक जैसी होने के कारण परिजनों ने प्रीति के शव होने की आशंका जताई थी. जिसके बाद पुलिस ने डीएनए मैच कराए बिना मान लिया की शव प्रीति का है.
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निर्दोष तीन युवकों को भेजा गया था जेल
इस मामले में पुलिस ने प्रीति के अपहरण के बाद हत्या कर जलाने का मामला दर्ज किया. पुलिस ने धुर्वा के तीन युवकों को गिरफ्तार भी किया. जिसका नाम अजित कुमार, अमरजीत कुमार व अभिमन्यु उर्फ मोनू है. तीनों युवकों को 17 फरवरी 2014 को जेल भेज दिया गया. जिसके बाद 15 मई 2014 को रांची पुलिस ने तीनों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या कर के जलाने के मामले में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था. तीनों युवक इनकार करते रहे कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी.
पुलिस को बस फाइल बंद करनी थी. इसी दौरान अपने प्रेमी के साथ फरार हुई प्रीति करीब चार महीने बाद 14 जून 2014 को जिंदा वापस लौटी, तो सबके होश उड़ गए. मामले ने तूल पकड़ा और इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) को दे दी गई. सीआइडी की जांच के बाद तथ्य की भूल बताते हुए कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया. जिसके बाद जून 2014 में तीनों निर्दोष छात्र पांच महीने जेल में रहने के बाद बरी हुए.
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प्रीति अपने एक दोस्त के साथ डालटनगंज चली गई थी
प्रीति ने पुलिस को बताया कि घर में उसे सभी परेशान करते थे. उसके पिता जब दिल्ली में पदस्थापित थे, तो उस समय भी वह घर से चली जाती थी. रांची आने के बाद घर में लोग उसे परेशान करते थे, इसलिए वह अपने एक दोस्त प्रदीप के साथ डालटनगंज चली गई थी. प्रदीप ने उसकी वहां नौकरी लगवा दी और रहने के लिए एक घर भी दिलवा दिया था. इसी बीच उसे जानकारी मिली की उसकी हत्या के आरोप में तीन निर्दोष जेल में हैं तो वह सामने आ गई. उसने पुलिस को जानकारी दी कि खुद के जिंदा होने के संबंध में उसने घटना के पंद्रह दिन बाद ही परिजनों को बता दिया था. लेकिन, वे लोग इस बात को छुपाए रखे.
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अनुसंधानकर्ता और दो थाना प्रभारी हुए थे निलंबित
सीआइडी की जांच के बाद इस केस के अनुसंधानकर्ता सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन चुटिया थाना प्रभारी कृष्ण मुरारी और तत्कालीन बुंडू थाना प्रभारी संजय कुमार निलंबित किया गया था. साबित हुआ था कि इन तीनों ने बिना सही अनुसंधान के तीनों छात्रों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भिजवा दिया. जेल से बाहर आने के बाद पीड़ित युवकों के परिजनों ने राज्य मानवाधिकार आयोग की शरण ली थी. जिसके बाद अगस्त 2021 में सात साल के बाद तीनों निर्दोष छात्र एक-एक लाख रुपये का मुआवजा मिला था.
आखिर किस युवती का था शव
बुंडू में 15 फरवरी की सुबह जिस युवती का शव मिला, वह कौन थी. बुंडू पुलिस के लिए अब उस हत्या को सुलझाने की बड़ी चुनौती है. पुलिस ने डीएनए जांच भी नहीं कराई थी. इस घटना को 8 साल होने को है लेकिन अभी तक उस लड़की की पहचान नहीं हो पाई है.
जानिए कब क्या हुआ
15 फरवरी 2014: रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नाम की एक युवती लापता हो गई थी.
16 फरवरी 2014: बुंडू थाना क्षेत्र स्थित मांझी टोली पक्की रोड के समीप एक युवती का जला हुआ शव मिला.
17 फरवरी 2014: तीन युवकों को जेल भेजा गया.
15 मई 2014: तीनों युवकों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल.
14 जून 2014: प्रीति जिंदा वापस लौटी.
जून 2021: पांच महीने जेल में रहने के बाद तीनों निर्दोष छात्र बरी हुए.
15 अक्टूबर 2014: निलंबित तीन दारोगा कृष्ण मुरारी, संजय कुमार और सुरेंद्र कंडुलना के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
18 अप्रैल 2022: हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए तत्कालीन चुटिया और बुंडू थाना प्रभारी पर हुई विभागीय कार्रवाई के बारे में पूछा है.
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