Ranchi: रांची प्रमंडल के आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने रांची के डीसी छवि रंजन के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी. कार्रवाई की अनुशंसा करीब 8 माह पहले हुई थी. आयुक्त ने अपनी पूरी रिपोर्ट भू-राजस्व विभाग के अपर सचिव को भी भेजी थी. जिसमें कुल छह अनुशंसा की गई थी. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर वो कौन सी ताकतें हैं, जो रांची डीसी छवि रंजन को बचाने में अब तक सफल दिख रही हैं! आखिर सरकार के उच्चपदस्थ अधिकारियों के हाथ किसने बांध रखे हैं ! किनके इशारे पर सरकार के जिम्मेदार पदों पर बैठे सीनियर आईएएस इस तरह के गंभीर आरोपों से घिरे अफसर पर कार्रवाई में देर कर रहे हैं. सवाल यह भी कि सलाहकार मंडली का वह कौन व्यक्ति है, जिसके कहने पर रांची डीसी के पद पर इस चार्जशीटेड अधिकारी की पोस्टिंग की गई और उसे अब तक बचाया जा रहा है! वो कौन है, जिसके स्वार्थ के कारण हेमंत सोरेन सरकार की छवि खराब हो रही है. इसे भी पढ़ें – एक तो नीम (सीएम की सलाहकार मंडली), उपर से करेला (रांची डीसी छवि रंजन)
आयुक्त की अनुशंसा
* सात एकड़ भूमि की जमाबंदी खोलने का आदेश रांची उपायुक्त छवि रंजन ने अपने न्यायिक कार्य निष्पादन के दौरान की है. इसलिये तत्काल डीसी के आदेश को रद्द किया जाये.
* सात एकड़ जमीन पर मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस बल की तैनाती करके कार्य किया गया. इस पर हुए खर्च की वसूली आवेदनकर्ताओं से की जाये.
* विनोद सिंह से जमीन खरीदने वाले श्याम सिंह व रवि सिंह भाटिया के पक्ष में रांची डीसी छवि रंजन ने अर्द्धन्यायिक शक्ति का दुरुपयोग कर आदेश पारित किया है. डीसी छवि रंजन के खिलाफ प्रशासनिक व अनुशासनिक कार्रवाई की जाये.
* इस पूरे मामले में हेहल अंचल के सीओ की भूमिका संदिग्ध है. उन्होंने बिना किसी कारण के एक सादा पंचनामा उपायुक्त को भेजा. जिसके आधार पर उपायुक्त ने आदेश पारित किया. सीओ से स्पष्टीकरण पूछा जाये.
* रांची डीसी के न्यायालय से कुछ अन्य नामांतरण के मामलों में भी विशिष्ट आदेश पारित किये गये हैं. जिसमें आवेदकों के पक्ष में जमाबंदी करने के आदेश दिये गये हैं. जो नियमानुकुल नहीं है. इसलिये यह जरूरी है कि डीसी छवि रंजन के द्वारा पिछले एक साल के भीतर पारित ऐसे सभी आदेशों की समीक्षा की जाये.
* राज्य के सभी उपायुक्तों को न्यायालय के कार्यों के दौरान जरूरी सतर्कता बरतने, नियमों का अध्ययन करने के बाद ही आदेश जारी करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाये.
क्या है मामला
रांची डीसी छवि रंजन ने पिछले साल सात एकड़ जमीन के मामले में 83 साल की रसीद एक ही दिन काटने का आदेश दिया था. इसे लेकर तमाम तरह के आरोप लगे. रांची कमिश्नर नितिन मदन कुलकर्णी ने मामले की जांच की. कमिश्नर ने 13 पन्नों की जांच रिपोर्ट भू-राजस्व विभाग को भेज दी है. जिसमें कई रहस्योदघाटन किये गये हैं. कमिश्नर ने रांची डीसी के इस काम पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं और कार्रवाई की अनुशंसा की है.
कहां है भूखंड
रांची शहर से करीब 5 किमी दूर हेहल अंचल है. जमीन बजरा मौजा में स्थित है. जमीन की कुल रकवा 7 एकड़ है. जिसका खाता नंबर- 140 है. जमीन कारोबार से जुड़े लोग इस जमीन की कीमत तकरीबन 50 करोड़ बताते हैं. हालांकि दर के मुताबिक, इस जमीन की वर्तमान कीमत करीब 30 करोड़ रूपये है.
गायब है रिकॉर्ड
lagatar.in के पास इस बात के प्रमाण हैं कि रांची डीसी ने जिस 7 एकड़ ज़मीन की रसीद बिना लगान निर्धारण के ही काटने का आदेश दिया था, उसका मूल दस्तावेज रिकॉर्ड रूम से गायब है. रांची के रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में इस जमीन के दस्तावेज उपलब्ध हैं. दस्तावेज 1938 का बना हुआ है. इसके वॉल्यूम नंबर 6, पेज नंबर 133 से लेकर 134 गायब हैं. यानी दो पन्ने गायब हैं. इस दस्तावेज का डीड नंबर- 255 है. दस्तावेज से दो पन्ने फाड़ कर हटाए गए हैं या फिर क्षतिग्रस्त हो गये, इसकी जानकारी नहीं है. रिकॉर्ड रूम में दस्तावेज को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जिन लोगों की है, वह इस बारे में कुछ भी बताना नहीं चाहते.
पुलिस की मौजूदगी में हुई थी बाउंड्री
जिस ज़मीन के दस्तावेज रिकॉर्ड रूम से गायब हैं, उस जमीन की 83 साल का लगान रसीद एक ही दिन काटे जाने की वजह से मामला संदेहास्पद और चर्चित बन गया. इस भूखंड की चहारदिवारी भी सामान्य तरीके से नहीं हुई थी. इसके लिये पुलिस की तैनाती करनी पड़ी थी. इसके बावजूद लोगों ने भारी विरोध किया था. रजिस्ट्री होने के करीब एक वर्ष बाद इस बात का खुलासा हुआ कि खाता संख्या – 140 की जिस भूखंड का लगान निर्धारण के बिना रसीद निर्गत हुआ है, उसका मूल दस्तावेज ही रिकॉर्ड रूम में नहीं है.
इसे भी पढ़ें –…. सरकार ने जिस IAS को रांची डीसी बना रखा है, वह आपराधिक मामले में चार्जशीटेड हैं