Bismay Alankar
Hazaribagh: जिले के चुरचू प्रखंड के हरहद गांव के रहने वाले किसान विनोद कुमार मोबाइल APP के सहारे अपने खेत में पटवन करता है. विनोद खेत से दूर कहीं से भी बैठे-बैठे ही पूरे खेत में पटवन कर लेते हैं. विनोद झारखंड के पहले ऐसे किसान हैं, जो खेतों में पटवन मोबाइल APP की मदद से करते हैं.
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उंगलियों की हरकत से होते हैं सब काम
आपको सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन खेत में सारा काम उंगलियों के सहारे होता है. विनोद कुमार ने इसके लिए नाबार्ड और इफ्फीको किसान से सहायता लेकर इसे तैयार किया है. इस सिस्टम को पूरे झारखंड में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया गया है. अगर यह योजना सफल होती है, तो पटवन की पुरानी तकनीक में बड़ा परिवर्तन होगा. जिससे ना सिर्फ पानी की बचत होगी, बल्कि किसान को मेहनत भी कम लगेगी.
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सेंसर से पता लगता है ,कब पटवन की है जरूरत
इस तकनीक में पानी के मोटर और ड्रिप इरिगेशन में लगने वाले वॉल्व को मोबाइल APP के जरिए संचालित किया जाता है. साथ ही साथ जमीन की नमी को नापने के लिए लगे सेंसर की मदद से जमीन की नमी का डेटा APP में आता रहता है. जिससे किस इलाके में पानी की किल्लत है, या किस क्षेत्र को पानी की आवश्यकता है, यह APP के जरिये देखा जाता है, और फिर उसी खेत में पानी के लिए APP के सहारे वॉल्व को और मोटर को खोल दिया जाता है. जिससे सूखे खेत में सिंचाई होने लगती है.
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नई विधि से पैदावार में हुई वृद्धि
सितंबर 2021 में इन्होंने सिस्टम को लगाया था और पहली फसल के रूप में इन्होंने खीरा का उत्पादन किया था. पिछले साल, जहां सामान्य विधि से खीरे का जितना उत्पादन हुआ था, इस साल उन्हें इस नई तकनीक से सिंचाई करने के बाद खराब मौसम के बावजूद 10 से 20 फीसदी अधिक की पैदावार हुई है.
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विनोद कुमार किसान बनने से पहले थे बैंक मैनेजर
विनोद कुमार किसान बनने से पहले पुणे में HDFC बैंक में मैनेजर थे. कोरोना के समय लॉकडाउन में वापस अपने गांव आए और फिर यहां की आबोहवा देखकर खेती करने का निर्णय लिया. इनके पास अपनी जमीन नहीं थी, इसलिए इन्होंने लीज पर दाड़ी प्रखंड में 18 एकड़ जमीन ली और उस पर खेती करनी शुरू की. शुरुआत में परंपरागत तरीके से खेती की, फिर इन्होंने धीरे-धीरे आधुनिक तकनीक अपनाना शुरू कर दिया. इनके कौशल को देखकर नाबार्ड और इफ्फीको ने इन्हें सहयोग दिया और झारखंड का पहला मोबाइल APP आधारित पटवन इनके 5 एकड़ वाली भूमि में स्थापित की गई.
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पांच एकड़ में कर रहे इस तकनीक का उपयोग
विनोद बताते हैं इस नई तकनीक से उन्होंने अपने 5 एकड़ की जमीन को 4 भाग में बांट दिया है, और एक बार में सवा एकड़ की यह सिंचाई APP के माध्यम से करते हैं. कुमार कहते हैं कि यदि ज्यादा एरिया हो तो सेंसर की संख्या और वॉल्व कंट्रोलर की संख्या बढ़ाकर बड़े क्षेत्र में इसका उपयोग किया जा सकता है. इसके उपयोग करने में पानी की उपलब्धता किस स्तर की है इस पर विचार किया जाता है. और फिर बोरिंग की स्थिति मोटर की कैपेसिटी और पटवन का रकवा इन तीनों से यह निर्णय होता है कि कितनी मात्रा में सेंसर और वाल्व लगाए जाएंगे. जिससे पूरे क्षेत्र के पटवन को किया जा सकता है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में झारखंड के किसान इस नई तकनीक से लाभान्वित होंगे और अपने खेतों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल कर पटवन करेंगे.
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