Ranchi : झारखंड बीजेपी (BJP) में जेवीएम (JVM ) का कुनबा बढ़ रहा है. बीजेपी छोड़कर बाबूलाल मरांडी( Babulal Marandi ) की बनाई गई पार्टी जेवीएम में गये 5 प्रमुख नेताओं में से 4 की बीजेपी में वापसी हो चुकी है. यानी जेवीएम के ‘सर’ (बाबूलाल मरांडी) समेत ‘पंच’ में शामिल दीपक प्रकाश, रविंद्र राय और प्रवीण सिंह अपने पुराने घर बीजेपी में ससम्मान वापस आ चुके हैं. सिर्फ एक सदस्य प्रदीप यादव वापस नहीं लौटे हैं. वे अभी कांग्रेस के साथ हैं.
बीजेपी छोड़कर जेवीएम में गये इन चारों नेताओं की वापसी बड़ी शानदार हुई है. संगठन में सम्मान के साथ ऊंचा ओहदा भी मिला है. जेवीएम से वापस आने के बाद रविंद्र राय को लोकसभा का टिकट मिला. वहीं दीपक प्रकाश पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये. बाबूलाल मरांडी आते ही विधायक दल के नेता बनाये गये. दूसरे सीनियर लीडर्स को दरकिनार कर पार्टी ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष भी चुना, हालांकि इसमें पेंच फंस गया. जेवीएम के चौथे मजबूत स्तंभ और थिंक टैंक प्रवीण सिंह भी अब वापस आ चुके हैं. उम्मीद है कि पार्टी उन्हें भी कोई न कोई बड़ी जिम्मेवारी सौंपेगी. ( झारखंड की राजनीति से जुड़ी दूसरी खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )
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बीजेपी के अंदर असंतोष बढ़ रहा
बीजेपी छोड़कर जेवीएम गये इन नेताओं के वापस लौटने से बीजेपी के अंदर असंतोष बढ़ रहा है. हालांकि सतह पर असंतोष और विरोध नहीं दिख रहा, लेकिन अंदर-अंदर आग सुलग रही है. इसकी वजह ये कि जो नेता सालों से बीजेपी की सेवा करते रहे. विपरीत परिस्थितियों में भी बीजेपी के साथ बने रहे. काबिलियत होने के बावजूद संगठन ने उनपर भरोसा नहीं जताया. इन नेताओं के वापस लौटने पर पुराने नेताओं को दरकिनार कर बड़े पद उन्हें दे दिये गये.
कई सीनियर लीडर हैं जो जेवीएम से लौटे नेताओं के साथ खुद को असहज महसूस करते हैं, एक मंच पर साथ तो होते हैं लेकिन उनके बॉडी लैंग्वेज से उन्हें दरकिनार किये जाने का दर्द साफ महसूस किया जा सकता है. सीपी सिंह और नीलकंठ सिंह मुंडा जैसे नेता इसके उदाहरण हैं. अब अगर प्रवीण सिंह को भी संगठन में बड़ी जिम्मेवारी मिलती है तो कार्यकर्ताओं का असंतोष बाहर आ सकता है.
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ढाई साल बाद बाबूलाल को एडजस्ट कर पाये बीजेपी नेता
राजनीति के क्षेत्र में झंडे गाड़ने की ख्वाहिशें लेकर बाबूलाल मरांडी के साथ जेवीएम से कई कार्यकर्ता बीजेपी में आये थे, लेकिन उनका सपना तब टूट गया जब सिर्फ कुछ गिने-चुने कार्यकर्ताओं को ही बीजेपी में सम्मान और पद मिला. सरोज सिंह जैसे कुछ कार्यकर्ता ही बाबूलाल के साथ बीजेपी में टिक पाये. बाबूलाल के पुराने समर्थक अब उनके आसपास नहीं दिखते. उधर बीजेपी के भी पुराने कार्यकर्ता बड़ी मुश्किल से दल बदलने वाले इन नेताओं का नेतृत्व स्वीकार कर रहे हैं. ढाई साल होने के बाद अब जाकर बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता बाबूलाल के साथ एडजस्ट कर पाये हैं.
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