Kiriburu (Shailesh Singh) : झारखंड सरकार व शिक्षा विभाग के गाल पर जोरदार तमाचा जड़ते हुए छोटानागरा पंचायत के ग्रामीणों ने अपने आर्थिक सहयोग से अपने बच्चों को पढ़ाने हेतु छोटानागरा स्थित प्लस-टू उत्क्रमित उच्च विद्यालय में प्राइवेट शिक्षक गोपाल टुडु को नियुक्त किया है. नियुक्त शिक्षक गोपाल का परिचय एक सितंबर को विद्यालय के छात्र-छात्राओं से कराया गया व गुरुवार से ही शिक्षक ने बच्चों को पढ़ाने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया है.
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शिक्षक का मानदेय प्रत्येक माह 3 हजार रुपये किया गया है तय
वहीं, शिक्षक का मानदेय अथवा वेतन उक्त पंचायत के दुकानदार व ग्रामीण यथासंभव आपसी सहयोग से करेंगे. शिक्षक का मानदेय प्रत्येक माह 3 हजार रुपये तय किया गया है. अगले तीन माह तक शिक्षक की पढ़ाई का स्तर व शिक्षा के प्रति उनकी विश्वसनीयता और सक्रियता देखी जाएगी. यदि सब कुछ बेहतर रहा तो ग्रामीण शिक्षक का मानदेय आपसी सहमति से बढ़ाने का निर्णय लेंगे. ग्रामीणों का यह फैसला न सिर्फ झारखंड सरकार व शिक्षा विभाग पर बड़ा तमाचा है, बल्कि अपने-अपने बच्चों को पढ़ाकर बेहतर इंसान बनाने की बड़ी ललक भी है.
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शिक्षक के अभाव में नहीं लिया जाता है विद्यार्थियों का 11वीं व 12वीं में नामांकन
उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल के छोटानागरा स्थित प्लस-टू उत्क्रमित उच्च विद्यालय एक ऐसा विद्यालय है, जहां छोटानागरा पंचायत के विभिन्न गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं. यहां वर्ग 1 से 10 तक नामांकित विद्यार्थियों की संख्या 309 है. यहां 11वीं-12वीं में एक भी नामांकित बच्चे नहीं हैं. अर्थात शिक्षक के अभाव में विद्यार्थियों का नामांकन ही नहीं लिया जाता है. विद्यालय में 309 बच्चों को पढ़ाने के लिये मिडिल सेक्शन के सहायक शिक्षक राम प्रकाश यादव व प्राइमरी सेक्शन की शिक्षिका कुशुम खलको अर्थात कुल दो शिक्षक हैं.
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दूसरे स्कूलों के शिक्षक को डिप्टेशन पर लाकर की गई थी परीक्षा संचालित
यहां पारा शिक्षक-शिक्षिकाएं एक भी नहीं हैं. 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 31 बच्चों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से तीन बच्चों ने परीक्षा नहीं दिया था. वहीं, बाकी बचे 28 बच्चों में से 11 बच्चे किसी तरह से पास हुये. हाल ही में हुई 9वीं की परीक्षा में 66 बच्चों में से मात्र 48 बच्चे ही परीक्षा में शामिल हुये. 16 बच्चों ने इसलिए परीक्षा नहीं दिया, क्योंकि वे रोजगार की तलाश में अन्य शहरों में पलायन कर गये हैं. पिछले दिनों हुई 8वीं बोर्ड की परीक्षा हेतु बहदा, तितलीघाट, बाईहातु के अलावा उक्त विद्यालय अर्थात कुल चार विद्यालयों का सेंटर इसी छोटानागरा स्कूल में था. लेकिन शिक्षक के अभाव में दूसरे स्कूलों के दो शिक्षक को डिप्टेशन पर लाकर परीक्षा संचालित की गई थी.
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विभाग को कई बार शिक्षकों की कमी के बारे में कराया गया है अवगत : प्रधानाध्यापक
विदित हो कि स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक राम प्रकाश यादव से पिछले दिनों उक्त पंचायत के उप मुखिया सह पंचायत शिक्षा समिति के अध्यक्ष रमेश हंसदा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने शिक्षा की खराब स्थिति के बाबत पूछताछ की थी. प्रधानाध्यापक ने ग्रामीणों को बताया कि दो शिक्षक किस-किस वर्ग के बच्चों व किस-किस विषय को पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि विभाग को कई बार शिक्षकों की कमी के बाबत लिखा गया, लेकिन शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में हम क्या कर सकते हैं. इसके बाद उप मुखिया रमेश हंसदा ने इस मामले को ग्राम सभा में रखा. छोटानागरा के मुंडा बिनोद बारीक की अध्यक्षता में ग्राम सभा की बैठक की गई.
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शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये युवा सहायक शिक्षा समिति का किया गया गठन
उक्त बैठक में पंचायत के ग्रामीण, दुकानदार, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक शामिल हुए. ग्राम सभा में सभी की सहमती से यह फैसला हुआ कि पंचायत के दुकानदार, बुद्धिजीवी, ग्रामीण, वैसे अभिभावक जो सक्षम हैं व यथासंभव हर माह न्यूनतम आर्थिक सहयोग कर सकेंगे, उनकी सहयोग राशी से एक शिक्षक नियुक्त किया जायेगा. नियुक्त किए गए शिक्षक उक्त स्कूल के वर्ग 8 से 10 तक के बच्चों को वहां के शिक्षकों के साथ मिलकर पढ़ायेंगे. साथ ही शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये युवा सहायक शिक्षा समिति का गठन किया गया. इस समिति का अध्यक्ष मोहन हंसदा, सचिव अमित पूर्ति व कोषाध्यक्ष सत्यानंद बारला को बनाया गया. इसके अलावा दुकानदार, मुंडा, बुद्धिजीवी कमिटी के सदस्य हैं.
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गांव के बच्चों को पढ़ाने का हौसला काफी अधिक : मोहन हंसदा
अध्यक्ष मोहन हंसदा ने कहा कि भले ही हम ग्रामीणों के पास खाने व खर्च करने को पैसे नहीं है. लेकिन अपने समाज व गांव के बच्चों को पढ़ाने का हौसला काफी अधिक है. शिक्षक गोपाल टुडु छोटानागरा के ही हैं व मैट्रिक पास हैं. शिक्षा विभाग से विद्यालय में शिक्षक की उपलब्धता की मांग कर जब हम थक गये तो अंततः स्वयं यह कदम उठाना पड़ा. सारंडा में अनेक खदानें हैं. खदानों से डीएमएफटी फंड में करोड़ों रुपये जा रही है, लेकिन विद्यालयों में शिक्षक तक नहीं हैं. हमारे बच्चे जब पढे़ंगे नहीं तो आगे कैसे बढे़ंगे. शिक्षा विभाग क्या चाह रही है कि हमारे बच्चे अनपढ़ होकर गलत रास्ते पर जायें. ऐसा होने नहीं दिया जायेगा.
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जरूरत पड़ने पर किया जाएगा आंदोलन
मोहन ने कहा कि भविष्य में और शिक्षक की बहाली ग्राम सभा के माध्यम से सरकारी स्कूल में की जाएगी. अगर सक्षम नहीं हुये तो शिक्षा विभाग, सरकार, सांसद, विधायक आदि को पुनः शिक्षक की नियुक्ति हेतु पत्र लिखे जाएंगे. फिर भी समाधान नहीं हुआ तो हम सभी सड़क पर उतर कर बड़ा आंदोलन छेडे़ंगे. स्कूल में नए शिक्षक की बहाली के दौरान मुंडा बिनोद बारीक, मुंडा रोया सिद्धू, उप मुखिया रमेश हंसदा, मोहन हंसदा, वीरेन्द्र साव, पंकज दास, प्रकाश गोप, बामिया माझी, सीआरपी उमेश चन्द्र मोहन्ती, एसएमसी के अध्यक्ष क्रिस्टोफर हपदगड़ा, उपाध्यक्ष योगिता गुप्ता, अभिनाश खंडाईत, राम चन्द्र दास आदि अन्य मौजूद थे.
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