Kiriburu (Shailesh Singh) : किरीबुरू पूर्वी पंचायत के टाटीबा गांव में रहने वाले आदिम जनजाति (बिरहोर) के सैकड़ों बच्चे ठंड के इस मौसम में खाली व गंदी जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. लगातार न्यूज संवाददाता जब अचानक स्कूल पहुंच बच्चों की इस हालात की तस्वीर लेने लगे तो शिक्षक तस्वीर नहीं लेने व खबर नहीं बनाने का आग्रह करने लगे.
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आसपास गांवों के 215 बच्चे पढ़ते हैं

उल्लेखनीय है कि एक तरफ केन्द्र व राज्य सरकार देश से विलुप्त होते आदिम जनजाति बिरहोर एंव उनके बच्चों को बचाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ सारंडा के टाटीबा गांव में रहने वाले बिरहोर बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के नाम पर तथा सरकारी सहायता से गैर-सरकारी संस्था भारत सेवाश्रम संघ द्वारा वर्ग पांच तक के बच्चों को पढ़ाने के लिये प्राणावानंद विद्या मंदिर नामक विद्यालय खोला गया है. जिसमें बिरहोर समेत आसपास गांवों के 215 बच्चे पढ़ते हैं. इन्हें पढ़ाने का कार्य संघ के 7 शिक्षक-शिक्षिका करते हैं. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इस विद्यालय में पढ़ने वाले तमाम बच्चों को गंदी फर्श पर ठंड के इस मौसम में भी पढ़ाया जा रहा है. बच्चों को बैठने के लिये दरी तक की व्यवस्था नहीं है. गंदे फर्श पर बैठ कर बच्चे पढ़ते हैं. बच्चों के अभिभावक बिरहोरों ने बताया की ऐसा हालात हमेशा का है. जब कोई बडे़ अधिकारी आते हैं तब स्कूल में दरी बिछाई जाती है. बच्चों को स्कूल ड्रेस व किताब तो दिया जाता है लेकिन गर्म कपडे़ नहीं मिलते. मध्याहन भोजन में शाकाहारी आहार दिया जाता है.
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शिक्षकों के लिए अलग चावल बनता है

इस विद्यालय में 7 शिक्षक सुबोध कुमार गोप (प्रभारी), अशोक कुमार साहू, संतोष कुमार प्रधान, रोहित गोप, सूचित्रा करुवा, लक्ष्मी मुंडा एंव शीतल सीट में से मात्र 4 शिक्षक मौजूद थे. इसमें से एक धूप में बैठ के समय पास कर रहे थे. दो खानशामा खानि बना रहे थे. बच्चों के लिये अलग तथा शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिये अलग चावल बन रहा था. सफाईकर्मी नियुक्त हैं लेकिन मौजूद नहीं थे.
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जमीन पर बैठने से बच्चों की तबियत भी बिगड़ सकती है
विद्यालय के एक शिक्षक ने बताया की दरी फट गई है, जल्द मंगा ली जायेगी. कोविड की वजह से बच्चों को गर्म कपड़ा नहीं मिला था लेकिन जमशेदपुर में खरीदकर रखा गया है. जल्द मंगाकर दिया जायेगा. तीन अनुपस्थित शिक्षक में एक ऑफिस गये हैं तथा दो बीमार होने की वजह से आये नहीं हैं. उल्लेखनीय है कि सरकार की तमाम स्कूलों में बच्चों को बैठने हेतु बेंच-डेस्क अथवा दरी की व्यवस्था है. लेकिन यह एक ऐसा स्कूल है जहां बच्चों को खाली जमीन पर ठंड में बैठाया जाता है. ठंड लगने से बच्चों की तबियत भी बिगड़ सकती है. इस अव्यवस्था को देखने व सुधारने वाला कोई नहीं है.
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