Pravin Kumar
Ranchi : माइका उद्योग को सरकार पूरी तरह बंद कर चुकी है. इसके बावजूद ढिबरा की आड़ में आज भी माइका का कारोबार फल-फूल रहा है. इस कार्य में अब व्यापारियों की जगह माफियाओं और दबंगों की पैठ हो गयी है. यही लोग वन क्षेत्र में बंद पड़ी खदानों से माइका का खनन करा रहे हैं. इनमें कई मालामाल हो रहे हैं. इनमें राजनेता से लेकर प्रशासन से जुड़े लोग भी शामिल हैं. इनके संरक्षण से ही माफिया से जुड़े लोग कोडरमा और गिरीडीह जिलों में माइका का खनन कर रहे हैं. इन दोनों जिलों से प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रकों में भरकर माइका को कोलकता पोर्ट भेजा जाता है.
मशीनों का इस्तेमाल भी होता है अवैध खनन कार्य में
कोडरमा और गिरिडीह जिलों के वन क्षेत्रों में माफिया खदानों से माइका खनन के लिए मशीनों का भी प्रयोग करते हैं. जब वन विभाग और स्थानीय प्रशासन हादसे के बाद जांच के लिए जाता है. इससे पूर्व जेसीबी और जेनरेटर आदि उपकरण के साथ माइका माफिया वहां से हट जाते हैं. जब भी किसी उच्चाधिकारी बंद खदानों का निरीक्षण करने पहुंचते हैं तो खदान से लोग फरार हो जाते हैं. फिर पदाधिकारी के लौटते ही खदान में अभ्रक माफिया काम पर लग जाते हैं.
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जनवरी 2021 में चाल धंसने से दब गए थे दर्जनों लोग, चार की हुई थी मौत
कोडरमा जिले में 21 जनवरी 2021 को जिला मुख्यालय से सटे फुलवरिया के पास आधा दर्जन से अधिक लोग चाल धंसने से दब गए थे. इनमें से चार लोगों की मौत भी हो गयी थी. यह आंकड़ा बताता है कि प्रशासन की करनी और कथनी में काफी अंतर है. मुख्यालय से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर उत्खनन हो और प्रशासन को पता ना हो, यह संभव नहीं है. वहीं धरातल पर देखा जाए तो आए दिन सैकड़ों गाड़ी में लदा माइका को जिले के मुख्य शहर झुमरी तिलैया में देखा जा सकता है. ऐसे में हम कह सकते हैं कि इस अवैध कारोबार में प्रशासन, दबंग और राजनीतिक दल के लोग सक्रिय रूप से शामिल हैं.
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झारखंड का अभ्रक राजस्व मिल रहा है राजस्थान और आंध्र प्रदेश को
जानकार बताते हैं कि भारत में अभ्रक का सर्वाधिक उत्पादन कागजों पर आंध्र प्रदेश और राजस्थान का दिखाया जाता है. जबकि वह अभ्रक झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह की बंद पड़ी खदानों से खनन कर अवैध रूप से निर्यात किया जाता है. आंध्र प्रदेश और राजस्थान में पाये जाने वाले अभ्रक की गुणवत्ता ठीक नहीं होती है. झारखंड में सबसे उत्तम क्वालिटी का माइका पाया जाता है, जिसे अवैध खनन कर कागजों में दूसरे राज्य का दिखाकर विदेशों में निर्यात किया जा रहा है. इससे झारखंड सरकार को करोड़ों की राजस्व की क्षति हो रही है.
माइका निर्यात के आंकड़े
Trend Ecomomy के Inport and Exports के डाटा बताते हैं कि भारत से माइका का निर्यात 65 मिलियन डॉलर से अधिक है. कोविड काल में भी निर्यात पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा.
- वर्ष मूल्य डॉलर में/Value (US$)
- 2009 25,557,089.00
- 2010 38,413,842.00
- 2011 49,911,106.00
- 2012 49,210,871.00
- 2013 52,419,696.00
- 2014 53,994,187.00
- 2015 53,234,683.00
- 2016 53,783,805.00
- 2017 62,757,871.00
- 2018 86,805,255.00
- 2019 57,961,631.00
- 2020 56,895,910.00