Latehar : इकलौते लोक अभियोजक के अवकाश पर हैं, जिससे व्यवहार न्यायालय के किसी भी अदालत में गुरूवार एक भी सरकारी गवाह पेश नहीं किए जा सके. बता दें कि यहां कुल 18 कोर्ट कार्यरत हैं. जबकि सिर्फ एक एपीपी की यहां पदस्थापना है. एपीपी अशोक कुमार दास 23 और 24 फरवरी को अवकाश पर हैं. लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक का पद महीनों से रिक्त है. लोक अभियोजक के नहीं रहने के कारण न्यायालयों में गवाही के लिए सरकारी स्तर पर गवाहों को पेश नहीं किया जा सका. इस संबंध में पूछे जाने पर वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार ने कहा कि झारखंड राज्य के गृह विभाग मुख्यालय में पांच ऐसे रक्षित अवकाश के तहत लोक अभियोजकों की पोस्टिंग की गयी है. जिन्हें आपात स्थिति में राज्य के किसी भी जिला में कार्य करने की अनुमति प्राप्त है. जिस दिन जिस जिला में लोक अभियोजकों की उपस्थिति शून्य होगी, उस दिन रक्षित अवकाश के लिए तैनात लोक अभियोजक को उस जिला में भेजा जाएगा.
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सिर्फ एक एपीपी के रहने से होती है मुश्किल
वहीं गृह विभाग की ओर से लोक अभियोजक के दो दिनों के अवकाश में रहने के बावजूद मुख्यालय से किसी भी लोक अभियोजक की पोस्टिंग नहीं की गयी. डेढ़ दर्जन कोर्ट के लिए सिर्फ एक एपीपी कार्यरत हैं. जिसकी वजह से लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. पीठासीन पदाधिकारियों को भी कार्य संपादन करने में मुश्किलें हो रही हैं. लोक अभियोजक बलराम शाह की आकस्मिक निधन एवं सुधीर कुमार का तबादला होने के बाद किसी की पदस्थापना नहीं की गई है. महीनों से उपरोक्त पद रिक्त हैं.
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