अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय अजय कुमार सिंह की अदालत ने सुनाई सजा
10,000 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया, जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त सश्रम कारावास
Koderma : दहेज हत्या के आरोपी पति और सास को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामला जयनगर थाना क्षेत्र से जुड़ा है. जयनगर थाना क्षेत्र की नवविवाहिता सकीना खातून को ₹200000 दहेज नहीं देने पर नवविवाहिता की हत्या कर साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से लाश को कुएं में फेंक दिया गया था. मामले में सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय की अदालत ने दो आरोपियों मृतका के पति जुबेर अंसारी एवं सास नुरेशा खातून को 304B का दोषी पाया. कोर्ट ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं न्यायालय ने 498 ए में प्रताड़ित करने का दोषी पाते हुए 3 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 10000 जुर्माना भी लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी. वहीं न्यायालय ने 201 आईपीसी में साक्ष्य छुपाने का दोषी पाते हुए 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं ₹10000 जुर्माना लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. मामला वर्ष 10-09-2014 का है.
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क्या है पूरा मामला
मृतक के पिता सलीम अंसारी ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि उसकी पुत्री सकीना खातून की शादी वर्ष 2011 में ग्राम चदरा पिपराडीह थाना जयनगर निवासी सिराज मियां के पुत्र जुबेर अंसारी के साथ मुस्लिम रीति-रिवाज से हुई थी. शादी के 6 माह तक मेरी बेटी को ससुराल में ठीक से रखा गया. उसके बाद ₹200000 दहेज की मांग जेसीबी खरीदने के लिए की जाने लगी, नहीं दिए जाने पर उसे प्रताड़ित किया जाने लगा. इसे लेकर तीन- चार बार गांव में पंचायती भी की गई, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. उसके बाद 10-09-2014 को ग्रामीणों के द्वारा सूचना दी गई कि उसकी पुत्री की लाश कुएं में है. सूचना मिलने पर जब वह अपने परिजन के साथ वहां पहुंचे तो देखा कि उसकी बेटी की लाश कुएं में है, जिसे बाद में निकाला गया. वहीं उसके ससुराल के सारे लोग गांव छोड़कर भाग गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि उसके पति जुबेर अंसारी, ससुर सिराज मियां, सास नुरेशा खातून एवं अन्य लोगों ने दहेज की खातिर उसकी बेटी की हत्या कर साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से शव को कुएं में फेंक दिया. इसे लेकर जयनगर थाना कांड में संख्या 170/2014 दर्ज किया गया था. बताते चलें कि सभी फरार आरोपी न्यायालय के निर्देश के बाद पुलिस के दबाव में करीब 2 साल बाद 09-12- 2016 को कोर्ट में सरेंडर किया था.
अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक पीपी मंडल ने करते हुए अभियुक्तों को अधिक से अधिक सजा देने की मांग न्यायालय से की. वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जगदीश यादव ने दलीलें पेश की और न्यायालय से कम से कम सजा देने की गुहार लगाई. इस दौरान सभी 12 गवाहों का परीक्षण कराया गया. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने एवं अभिलेख पर उपस्थित साक्ष्यों का आधार पर सास और पति को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
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