– प्रतिदिन के खुराक के लिए बच्चों की मां को दिया जाना है 130 रुपये
– ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण नहीं हो पा रहा भुगतान
Saurav Shukla
Ranchi : एमटीसी (मालन्यूट्रिशयन ट्रीटमेंट सेंटर) डोरंडा में कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है. यहां कुपोषित बच्चों को भर्ती कर इलाज की व्यवस्था है. 15 बेड के इस अस्पताल में 6 महीने से लेकर 5 साल तक के बच्चों का इलाज किया जाता है. कुपोषण मुक्त करने के लिए सबसे जरूरी सही डाइट लेना होता है, इसके लिए डायटीशियन की जरूरत होती है. पर, डोरंडा के इस कुपोषण उपचार केंद्र में कुपोषित बच्चों का उपचार बिना डायटीशियन के ही हो रहा है. हालांकि केंद्र की प्रभारी डॉ मिता सिन्हा ने बताया कि उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही डायटीशियन की प्रतिनियुक्ति इस केंद्र में कर दी जाएगी.
औसतन 21 दिनों तक बच्चों को रखा जाता है भर्ती
केंद्र की प्रभारी डॉ मिता सिन्हा ने बताया कि बच्चों को पौष्टिक भोजन और जरूरी दवा देकर ठीक करने की कोशिश की जाती है. औसतन 21 दिनों में बच्चे उम्र और लंबाई के हिसाब से करीब आधा वजन हासिल कर लेते हैं, तो उन्हें जरूरी सलाह देकर छुट्टी दे दी जाती है. वहीं कई मामलों में बच्चों को तीस दिनों तक भी रखना होता है. इस दौरान उनकी मां भी साथ होती हैं. वर्तमान में केंद्र में छह मरीज ही भर्ती हैं. प्रभारी ने बताया कि अधिकतर मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, खेती के मौसम के कारण फिलहाल लोग नहीं पहुंच रहे हैं. अन्यथा हमेशा सभी बेड फूल रहता है.
बच्चों की मां को पौष्टिक आहार के पैसों का नहीं हो रहा भुगतान
भर्ती बच्चों की मां को भी पौष्टिक आहार के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 130 रुपये दिए जाते हैं. पर, पिछले एक महीने से इसका भुगतान नहीं हो पा रहा है. सेंटर की प्रभारी ने बताया कि नई व्यवस्था (ऑनलाइन व्यवस्था) के हो जाने से पिछले एक महीने से पैसे का भुगतना नहीं हो पा रहा है. इससे पहले तक ऑफलाइन माध्यम से दिया जाता था, तो किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही थी. उन्होंने बताया कि सभी का बैंक अकाउंट नहीं होता, इसलिए परेशानी हो रही है. हम इस समस्या का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं.
केस स्टडी
एमटीसी में भर्ती हिनू बस्ती की रहने वाली प्रीति केरकेट्टा अपनी 1 साल की बच्ची सुप्रिया केरकेट्टा को कम वजन की समस्या के कारण यहां लेकर आयी है. पूछने पर कहती है कि मेरी बेटी खाना-पीना ठीक ढंग से नहीं खाती है. जिस वजह से यहां लेकर आयी हूं. लेकिन उसे भी 130 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पैसे का भुगतान नहीं हो रहा है. प्रीति ने कहा कि पति नगर निगम में काम करते हैं , लेकिन टीवी के कारण काम पर नहीं जा पा रहे हैं. जिस कारण आर्थिक स्थिति खराब हो रही है.
– वहीं लोवाडीह से आयी शिला भटकुंवर ने कहा कि 1 साल दो महीने का बेटा प्रियांशु का वजन नहीं बढ़ रहा है. जिसके कारण उसे एमटीसी सेंटर लेकर आयी हूं. उन्होंने कहा कि 4 अगस्त से बच्चे के साथ अस्पताल में हूं लेकिन सरकार द्वारा एमटीसी में इलाजरत बच्चों को मिलने वाली राशि 130 रुपये नहीं दिये जा रहे हैं. जिस कारण परेशानी हो रही है.
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