Ranchi : झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में शिक्षा की चुनौती को केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने एक मिशन के तौर पर लिया है. केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि इन इलाकों में मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा पहुंचाने के लिए काम कर रही है. इसी कड़ी में जनजातीय मंत्रालय द्वारा राज्य के कई जिलों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) खोला गया है. अब राज्य के चार प्रमंडल संथाल परगना, उत्तरी छोटानगपुर, पलामू और कोल्हान के कुल 15 जिलों में बने आवासीय विद्यालयों में मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम खोला जाएगा. 500-500 छात्रों के क्षमता वाले इन मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम में राज्य सरकार कुल 31.16 करोड़ रुपए (31,16,87,360 करोड़ रुपए) खर्च करेगी.
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सांस्कृतिक गतिविधियों, खेलकूद को बढ़ावा देने के साथ होंगे कई काम
कल्याण विभाग का कहना है कि 15 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर 500 सीटों वाले मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम बनाया जाना है. इसका उद्देश्य स्कूल ऑडिटोरियम में खेलकूद, जनजातीय समाज के सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है. संथाल परगना के पाकुड़, दुमका, गोड्डा, साहेबगंज में बनने वाले मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम में कुल 9,44,51,118 करोड़ रुपए खर्च होंगे. कोल्हान के सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम में 7,08,38,339 करोड़, उत्तरी छोटानागपुर के चतरा और गिरिडीह में 4,72,25,559 करोड़ एवं रामगढ़, बोकारो व हजारीबाग में 4,95,86,172 और पलामू के गढ़वा, पलामू व लातेहार जिलों में बनने वाले मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम में 4,95,86172 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
20 हजार से कम आबादी वाले 740 प्रखंडों में खोला जाना है विद्यालय
बता दें कि अनुसूचित जनजातियों के लिए एक मॉडल आवासीय विद्यालय खोलने की केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने योजना बनायी है. यह पहल दूरस्थ जनजातीय बहुल क्षेत्रों में छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा और सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करता है. देश भर में 20 हजार से कम आबादी वाले 740 प्रखंडों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय बनाया जाना है.
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