Arun Kumar Yadav
Garhwa : गढ़वा जिले के रंका-गोदरमाना मुख्य मार्ग पर स्थित एनएच 343 के समीप लोहा पुल के पास 300 करोड़ की लागत से नक्षत्र वन बनना था. मगर शिलान्यास के 15 साल बाद भी नक्षत्र वन का काम अधूरा पड़ा है. इससे गढ़वावासियों का सुंदर पार्क एवं नौका विहार का सपना भी अधूरा ही रह गया. बताते चलें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा तत्कालीन विधायक गिरिनाथ सिंह के प्रयास से नक्षत्र वन पार्क का शिलान्यास किया गया था. उस समय पार्क की प्राक्कलित राशि 300 करोड़ थी. वन विभाग द्वारा बनाया जाने वाला यह पार्क दो पहाड़ियों को मिलाकर बनाया जाना था, जिसमें पहाड़ियों के ऊपर चढ़ने और उतरने का रास्ता, उक्त रास्तों में बैठने-ठहरने की व्यवस्था, पार्क में बच्चों को खेलने के लिए क्रीड़ा स्थल एवं उक्त पार्क में जंगली पशुओं के विचरण करने की भी व्यवस्था के साथ नौका विहार की भी व्यवस्था की जानी थी. लेकिन मधु कोड़ा सरकार के हटने के बाद एवं विधायक गिरिनाथ सिंह के हारने के बाद नक्षत्र वन का कार्य ठप हो गया. पहाड़ों के ऊपर बनाई गई सड़क टूट गई. वहीं पार्क के रख-रखाव के लिए सुरक्षाकर्मियों के लिए बनाए गए आवास भी जर्जर हो चुके हैं. वर्तमान में पार्क के लिए सिर्फ और सिर्फ नक्षत्र वन का डैम ही बचा हुआ है, जो फिलहाल उक्त रास्ते से गुजरने वाले ट्रक चालकों द्वारा ट्रकों को धोने के काम में लाया जाता है. बाकी सारे कार्य उसी तरह से शिथिल पड़े हुए हैं. पार्क के अधूरे रह जाने से यहां के लोगों में मायूसी है. पार्क को लेकर लोगों में उत्साह था कि पार्क के बन जाने के बाद वह शहर से बाहर बच्चों के साथ मौज मस्ती करते, लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया.
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इधर इस मामले को पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने भी विधानसभा में उठाया था, मगर विभागीय लापरवाही के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि नक्षत्र वन कब बनेगा यह विभाग और अधिकारी ही बेहतर बता सकते हैं. नक्षत्र वन बन जाता तो आसपास के लोगों को रोजगार मिलता. सैलानी यहां घूमने आते, जिससे आसपास के लोगों को आमदनी होती और उनका जीवन स्तर सुधरता, मगर यह कब होगा, पता नहीं.
झारखंड सरकार उद्यान को पूरा करे : गिरिनाथ सिंह
रंका के पूर्व विधायक सह पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह ने बताया कि जैविक उद्यान की स्वीकृति मैंने दिलाई थी, जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने किया था. यह कार्य वन विभाग को करना था, जिसमें मैंने वन विभाग को 100 करोड़ अग्रिम राशि भी दिलवाई थी था. यहां काम भी शुरू हो गया था. 2010 में मैं चुनाव हार गया. मगर उसके बाद जितने भी जनप्रतिनिधि आये किसी ने इसे पूरा कराने में अपनी रूचि नहीं दिखाई. जिसके कारण नक्षत्र वन का काम अधूरा रह गया. झारखंड सरकार को इस अधूरे कार्य को करने के लिए पहल करनी चाहिए. इस जैविक उद्यान के बन जाने से रंका अनुमंडल ही नहीं, झारखंड के पड़ोस राज्य छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश और बिहार के पर्यटक भी यहां आएंगे. इससे आसपास के लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
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