- कहा-आदिवासियों को जबरन हिंदू बनाने का प्रयास बंद हो, नहीं तो होंगे गंभीर परिणाम
Ranchi : द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती के बयान के बाद झारखंड में नया विवाद शुरू हो गया है. शंकराचार्य ने कहा है कि आदिवासी मूल रूप से हिंदू हैं. इसका विरोध आदिवासी नेताओं और संगठनाें ने किया है. कहा कि एक अरसे से आदिवासियों को हिंदू और सनातन बनाने का प्रयास हो रहा है. इसे बंद किया जाना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
यह रिलीजियस जेनोसाइड जैसा- सालखन
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों के लिए बिल्कुल अपमानजनक और धार्मिक नरसंहार या रिलीजियस जेनोसाइड जैसा है. क्योंकि यह संविधान का भी उल्लंघन है. हिंदू मैरिज एक्ट -1955 और हिंदू सक्सेशन एक्ट -1956 में आदिवासी शामिल नहीं हैं. जबकि सिख, जैन और बौद्ध शामिल हैं. जोर- जबर्दस्ती आदिवासियों को हिंदू घोषित करना और वनवासी कहना दुर्भाग्यपूर्ण है. सेंगेल इसकी निंदा और विरोध करता है. सेंगेल आदिवासियों को विदेशी भाषा- संस्कृति और धर्म से बचने -बचाने का पक्षधर है. हम सिख, जैन, बौद्ध की तरह अपनी आदिवासी अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी को कायम रखते हुए 2023 में हर हाल में सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए कटिबद्ध हैं.
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शंकराचार्य का बयान राजनीति से प्रेरित- लक्ष्मीनारायण मुंडा
आदिवासी समन्वय समिति के सदस्य और आदिवासी नेता लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य का बयान गैर जिम्मेदाराना तो है ही, यह उनके वैचारिक दिवालियापन को भी दर्शाता है. शंकराचार्य का यह बयान खुद राजनीति से प्रेरित है. आदिवासी समुदाय को भ्रमित कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक का एजेंडा को स्थापित करने वाला है. मुंडा ने कहा कि इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.
यह भाजपा- आरएसएस प्रायोजित बयान- रवि तिग्गा
राजी पाड़हा प्रार्थना सभा के प्रदेश अध्यक्ष रवि तिग्गा ने कहा कि यह भाजपा- आरएसएस द्वारा प्रायोजित बयान है. ये लोग कैसे और किस आधार पर आदिवासियों को हिंदू करार देने में जुटे हैं. हम जहां कस्टमरी लॉ से संचालित होंते हैं, जबकि हिंदू, हिंदू मैरिज एक्ट के तहत. तो फिर कैसे आदिवासी हिंदू हैं. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आदिवासियों की अपनी परंपरा, संस्कृति और धर्म-संस्कार है. जो हिंदू से मेल नहीं खाता है. यह सब बंद होना चाहिए, नहीं तो इसका कड़ा विरोध होगा.
यह आदिवासियों का अपमान- प्रवीण उरांव
राजी पड़हा प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय धर्मगुरु प्रो प्रवीण उरांव ने कहा कि यह आदिवासियों का अपमान है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आदिवासी न कभी सनातन का हिस्सा था और न कभी रहेगा. हिंदुत्व खतरे में पड़ता देख एक संगठन विशेष के लोग जबरन आदिवासियों को हिंदू बनाने में जुटे हैं. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह सिलसिला बंद होना चाहिए. नहीं तो सरना प्रार्थना सभा इसके खिलाफ पूरे देश में अभियान चलाएगी.
आदिवासियों को विभाजित करना चाहते हैं- अजय तिर्की
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि किसी भी चीज की हद होती है. कभी भाजपा-आरएसएस तो कभी हिंदू धर्मगुरू इस तरह के बयान देकर आदिवासियों को विभाजित करना चाहते हैं. आदिवासी प्रकृति पूजक रहे हैं और हमेशा रहेंगे. आदिवासियों को सनातन का हिस्सा या हिंदू कहना, आदिवासियों का अपमान है. समिति इसके खिलाफ सड़क पर उतरेगी.
आदिवासियों को हिंदू या सनातन बताना बंद हो- शिवा कच्छप
केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने शंकराचार्य के बयान की निंदा की है. उन्होंने कहा कि ये लोग अनाप-शनाप बोलना बंद करें. ये लोग अपनी घटती आबादी को देखते हुए आदिवासियों को हिंदू बताने का प्रयास कर रहे हैं. आदिवासियों की अपनी धर्म-संस्कृति और रिवाज है. आदिवासियों की जीवन शैली, शादी विवाह, मरनी, छठी सभी कस्टमरी लॉ से संचालित हैं. इसलिए आदिवासियों को हिंदू या सनातन बताना बंद हो. नहीं तो इसके गंभीर परिणाम उठाने होंगे.
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