Ranchi : विश्व स्वास्थ्य दिवस पर रिम्स रांची में ‘क्लीन एयर मेडिकल स्टूडेंट एंबेसडर प्रोग्राम’ के तहत कार्यशाला का आयोजन स्विचऑन फाउंडेशन की ओर से किया गया. कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने मेडिकल स्टूडेंट के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत की 99.3% से अधिक आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेती है, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानकों से ऊपर है. वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) के अनुसार, यदि वायु गुणवत्ता पर WHO के दिशानिर्देशों को पूरा किया जाता है, तो एक औसत भारतीय जीवन प्रत्याशा को 6.3 वर्ष बढ़ा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने वायु प्रदूषण को नया तंबाकू कहा है. यह जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक है, जिसे जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा कोड रेड के रूप में घोषित किया गया है.
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फ्यूचर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स का एक समूह बनाना है
इस अवसर पर स्विचऑन फाउंडेशन झारखंड के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक दीपक बारा ने कहा, कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य फ्यूचर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स का एक समूह बनाना है, जो वायु प्रदूषण के मुद्दों के बारे में जानेंगे और जागरूकता पैदा करेंगे. इस प्रकार आवश्यक नीति, कार्रवाई और नागरिक सशक्तिकरण को सक्षम करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि मेडिकल छात्र जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भविष्य हैं, इस जागरूकता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं. कार्यशाला में मेडिकल छात्रों और अंसगठित क्षेत्र के दैनिक वेतन भोगियों के अनुभव भी साझा किये गये.
समाज के बीच जागरूकता फैलाने की उम्मीद
कार्यशाला में प्रख्यात डॉक्टरों ने भाग लिया और अपने अनुभव छात्रों के बीच साझा किया. इनमें पद्मश्री डॉ कामेश्वर प्रसाद, निदेशक रिम्स, डॉ विद्यासागर, डॉ देवेश कुमार, डॉ अत्रि गंगोपाध्याय, चेस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया से जुड़े डॉ नम्रता अग्रवाल महनरसरिया शामिल थे. कार्यशाला के बाद मेडिकल छात्रों से कम से कम 10 कार्यशालाओं का आयोजन, कम से कम 500 व्यक्तियों को जागरूक करके मेडिकल छात्रों, युवाओं और उनके समाज के बीच जागरूकता फैलाने की उम्मीद की गई.
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