- सच्चाई : अंडा के लिए टेंडर ही पूरा नहीं हो सका, कम दर के चलते सप्लायर ने भाग नहीं लिया
Pravin kumar
Ranchi : राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड में 42.9 प्रतिशत कुपोषित बच्चे हैं. यह संख्या देश में सर्वाधिक है. एनीमिया से झारखंड के 69 प्रतिशत बच्चे व 65 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित हैं. इसके बाद भी राज्य में ICDS सेंटर बदहाल है. भले ही सरकार ने बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए बड़ी- बड़ी घोषणा की हो, हकीकत यही है कि कोरोना काल में भी राज्य सरकार ने अपने आंगनबाड़ी सेंटर में बच्चों को अंडा खिलाने में असमर्थ रही. बजट प्रावधान के बावजूद यह काम पूरा नहीं कर सका. जबकि झारखंड में 30,000 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को सप्ताह में 6 दिन अंडा खिलाने का फैसला खुद सरकार ने लिया था.
कैबिनेट में भी पास हुआ था प्रस्ताव
झारखंड की बागडोर संभालते ही हेमंत सोरेन ने बतौर मुख्यमंत्री राज्य को कुपोषण के अभिशाप से मुक्त कराने की दिशा में ठोस शुरुआत की. मुख्यमंत्री ने कई मौकों पर कई मंचों से कहा कि झारखंड को कुपोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है. कई योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए कुपोषण खत्म करने को एक अभियान का रूप दिया. दिशोम गुरु वाटिका योजना, समर परियोजना, मोबाइल उपचार वैन सेवा, दीदी बाड़ी योजना, आंगनबाड़ी सेंटर में बच्चों को 6 दिन अंडा देना जैसी योजना इस फेहरिस्त में प्रमुखता से शामिल थी.
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2022- 23 के बजट में भी प्रावधान किया गया
सरकार द्वारा आंगनबाड़ी सेंटर के बच्चों को सप्ताह में तीन दिन अंडा देने के लिए 2021- 22 का बजट में प्रावधान किया गया था. वहीं जून 2022 में कैबिनेट की बैठक में सरकार ने सप्ताह में 6 दिन अंडा देने का प्रस्ताव पास किया था. पर वित्तीय वर्ष पूरा होने को है, लेकिन आंगनबाड़ी सेंटर के बच्चों को सरकार अंडा उपलब्ध नहीं करा सकी है. जबकि आंगनबाड़ी सेंटर के बच्चों को अंडा उपलब्ध कराने के लिए 2022- 23 के बजट में भी प्रावधान किया गया है.
2021-22 के बजट में अंडा और कुपोषण को लेकर सरकार ने कहा था
2021-22 के बजट में अंडा और कुपोषण को लेकर सरकार ने कहा था कि एक सार्वजनिक आंदोलन के रूप में कुपोषण से जंग लड़ी जायेगी. राज्य में कुपोषित बच्चों के उच्च अनुपात को देखते हुए उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ सरकार ने प्रत्येक बच्चे को प्रतिदिन भोजन के साथ एक अंडा देने का निर्णय लिया है.
कहा था- सप्ताह में छह दिन अंडा दिया जायेगा
सरकार ने कहा था कि आंगनबाड़ी केंद्र में 3-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को परोसे जाने वाले गर्म पके भोजन (एचसीएम) के हिस्से के रूप में सप्ताह में छह दिन अंडा दिया जायेगा. यह फैसला निश्चित रूप से बच्चों में कुपोषण को कम करने में एक बड़ा योगदान देगा. किशोर लड़कियां और युवा महिलाएं कुपोषण के अंतर-पीढ़ी के चक्र को तोड़ने के लिए प्रमुख एजेंट हो सकती हैं. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक पोषण योजना को समुदाय आधारित पोषण व्यवस्था के रूप में चलाने की योजना है. इसके अलावा राज्य भर में 1000 दिनों की समर परियोजना ( कुपोषण के उन्मूलन के लिए रणनीतिक कार्रवाई) के माध्यम से सुनियोजित और समयबद्ध तरीके से कुपोषण उन्मूलन के उद्देश्यों को प्राप्त करना है.
क्या कहती हैं समाज कल्याण निदेशक अंजनी डोडे
राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में 3-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को परोसे जाने वाले गर्म पके भोजन (एचसीएम) के हिस्से के रूप में सप्ताह में छह दिन अंडा देना तय किया गया था. लेकिन बजट में अंडा की दर कम होने के कारण सप्लायर ने टेंडर में भाग ही नहीं लिया. जिस वजह से अंडा के लिए टेंडर पूरा नहीं हो सका.
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