NewDelhi : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और CWC के सदस्य हरीश रावत ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर हमला बोलते हुए कहा कि पीके(प्रशांत किशोर)पहले कांग्रेस में कार्यकर्ता के रूप में शामिल हों, उनका स्वागत करेंगे. इसके बाद वह अपना ज्ञान दें. रावत ने कहा कि पार्टी में शामिल होने के बाद भी वह इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि कांग्रेस में इसी ढंग से काम होना चाहिए. कहा कि पार्टी किसी एक शख्स की गुलाम नहीं हो सकती.
जान लें कि हाल ही में लखीमपुर खीरी की घटना के बाद जब प्रियंका गांधी वहां पहुंची थी तब प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कांग्रेस की जड़ों तक समस्या पहुंच चुकी है और उसे इस तरीके से ठीक नहीं किया जा सकता है.
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कांग्रेस नये विचारों को हमेशा जगह देती है
जान लें कि इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में रावत ने टीएमसी पर भी निशाना साधा. कहा कि पार्टी(कांग्रेस) के नेताओं को लालच देकर टीएमसी इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है. यह भी कहा कि ममता बनर्जी जो काम कर रही हैं, उससे विपक्षी एकता मजबूत नहीं होने वाली है. प्रशांत किशोर के बारे में सवाल पूछे जाने पर रावत ने कहा, कोई भी शख्स जो भारत का नागरिक हो और जो स्वतंत्रता आंदोल व कांग्रेस में विश्वास रखता हो, वह पार्टी में शामिल हो सकता है. कहा कि प्रशांत किशोर भी हमारे साथ में आ सकते हैं. इस क्रम में हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस नये विचारों को हमेशा जगह देती है.
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पार्टी किसी एक व्यक्ति की गुलाम नहीं हो सकती
लेकिन पार्टी किसी एक व्यक्ति की गुलाम नहीं हो सकती. भले ही वह कितना ही सक्षम व्यक्ति क्यों न हो. हम उससे यह नहीं कह सकते कि बाबा अब आप ही सब काम संभालिए, मै कुछ नहीं करूंगा पार्टी में सबकी अपनी भूमिका है. अगर प्रशांत किशोर चाहें तो वह पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है उनका स्वागत है. लेकिन हम अपने संविधान और परंपराओं का पालन करेंगे। यह बात एकदम स्पष्ट है.
कांग्रेस में प्राथमिक सदस्य के रूप में पीके को शामिल करने पर रावत ने कहा, सभी जानते हैं कि पीके अपने क्षेत्र में जानकार हैं और इससे कांग्रेस को भी फायदा हो सकता है लेकिन पार्टी में किसी को शामिल करने का एक तरीका है. उनको भी उसी तरीके से पार्टी में आना पड़ेगा. पहले वह सदस्य बनेंगे, इसके बाद ही उन्हें कोई जिम्मेदारी मिलेगी. लेकिन पहले उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए और उसके बाद ही उन्हें पार्टी के फैसलों पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए.