Mumbai : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक आज 10 अगस्त को समाप्त हो गयी. जो 8 अगस्त को शुरू हुई थी. बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी रेट की घोषणा की. आरबीआई ने ब्याज दर को 6.50 फीसदी पर यथावत रखा. वहीं केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट (एमएसएफआर) में भी कोई बदलाव नहीं किया है. इसे भी 6.75 फीसदी पर बरकरार रखा है.
#WATCH | RBI Governor Shaktikanta Das says “Monetary Policy Committee decided unanimously to keep the Repo Rate unchanged at 6.50%” pic.twitter.com/138ppkCarB
— ANI (@ANI) August 10, 2023
अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है-दास
शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है. मौद्रिक नीति समिति ने सभी परिस्थितियों में गौर करने के बाद रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है. बता दें कि यह लगातार तीसरी बार है, जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले जून और अप्रैल में भी आरबीआई की एमपीसी बैठक हुई थी. जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था. आरबीआई ने फरवरी माह में रेपो रेट में 25 बेसिस पाइंट की बढ़ोतरी की थी. जिसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था. मई 2022 से फरवरी 2023 तक यानी एक साल में ब्याज दरों में 2.50 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार
आरबीआई ने अपने जीडीपी अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं किया है. बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. जबकि केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही का जीडीपी अनुमान 8 फीसदी, जुलाई-सितंबर तिमाही का 6.5 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही का 6 फीसदी और जनवरी-मार्च तिमाही का 5.7 फीसदी रखा है. वहीं अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी अनुमान 6.6 फीसदी कर दिया है.
मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत किया
आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई के अनुमान को 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है. वहीं केंद्रीय बैंक ने जुलाई-सितंबर 2023 के लिए सीपीआई महंगाई का अनुमान 5.2 फीसदी से बढ़ाकर 6.2 फीसदी और अक्टूबर-दिसंबर 2023 के लिए 5.4 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया गया है. जबकि आरबीआई ने जनवरी-मार्च 2024 के लिए सीपीआई महंगाई का अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है. इसे 5.2 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई के अनुमान को 5.2 फीसदी किया है.
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रेपो रेट बढ़ने से कर्ज लेना होता है महंगा
अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है.
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11 महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की
बता दें कि आरबीआई महंगाई को काबू में करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. 2022 में अबतक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 5 बार इजाफा कर चुका है. जिसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी पर पहुंच गया है. आरबीआई ने 4 मई को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. रिजर्व बैंक ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. वहीं 30 सितंबर को रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया. वहीं 7 दिसंबर को आरबीआई ने रेपो रेट 35 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया. वहीं 8 फरवरी को आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. इसके बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं.
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