Saurav Shukla
Ranchi : राजधानी रांची भी महानगरों की राह पर चल पड़ी है. यहां नशे के आदि युवाओं की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है. न सिर्फ युवा बल्कि अब युवतियां भी नशे की जद में आ रही हैं. पिछले दो सालों में इलाज के लिए रिनपास नशा मुक्ति केंद्र में आने वाले लोगों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन अब यहां प्रतिमाह औसतन 100 लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
रिनपास में बढ़ रही है मरीजों की संख्या
रिनपास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि कोरोना काल के शुरू होने के बाद मादक पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि अप्रैल महीने में यहां 21 लोगों को भर्ती किया गया था. आठ लोग ऐसे थे, जिन्हें (मल्टीपल सब्सटांस एब्यूज) ब्राउन शुगर, गांजा और शराब की लत थी. अगस्त के महीने में रिनपास में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 47 पहुंच गयी. उन्होंने बताया कि यह आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.
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10 से 15 दिन में बढ़ जाता है ब्राउन शुगर के नशे की लत
डॉ सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि ब्राउन शुगर का नशा करने वाले शुरुआती दिनों में एक-दो बार इसका सेवन करते हैं. 10 से 15 दिन के बाद नशा की लत इतनी बढ़ जाती है कि वह हर वक्त नशे में रहना चाहता है. उन्होंने कहा कि कुछ वक्त के बाद ब्राउन शुगर को पानी में डालकर इंजेक्शन लेना शुरू कर देता है. इंजेक्शन शेयरिंग से एचआईवी का खतरा बढ़ता है.
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रिनपास नशा मुक्ति केंद्र में इलाज संभव
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि रिनपास नशा मुक्ति केंद्र में नशा का आदि हो चुके लोगों का इलाज संभव है. कम से कम ढाई-तीन महीने के इलाज के बाद नशा का लत छुड़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नशा का लत छुड़ाने के लिए शरीर के अंदर का विष हरने के लिए डिटॉक्सीफिकेशन (Detoxification) की प्रक्रिया अपनायी जाती है. साथ ही दवा नेल्टरेक्सोन (Neltrexon) दिया जाता है. ये दवा ब्राउन शुगर के नशे को काटती है. साथ ही मोटिवेशनल एन्हांसमेंट थेरेपी के माध्यम से स्वस्थ करने की कोशिश होती है. वहीं, परिवार के लोगों की काउंसिलिंग साइकोलॉजी विभाग द्वारा की जाती है.