केंद्र सरकार द्वारा पेश एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि नेकनीयती से की गयी अतिउत्साही दखलंदाजी के अप्रत्याशित और अनचाहे नतीजे हो सकते हैं.
NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी, चुनाव, कुंभ और ऑक्सीजन सप्लाई आदि 21 मामलों पर केंद्र सरकार द्वारा दायर हलफनामा मीडिया में लीक होने पर सोमवार को जमकर फटकार लगायी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तंज कसा कि हमने तो एक अखबार से पढ़कर जान लिया कि हलफनामे में क्या है. जस्टिस ने कहा कि जजों तक हलफनामा पहुंचने से पहले मीडिया तक कैसे पहुंच गया.
इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने इस पर सफाई दी कि हमने राज्यों को हलफनामा दिया था, इसलिए ऐसा संभव हुआ हो. बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ मामलों की सुनवाई कर रही है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ही नसीहत दे डाली है
खबर है कि कोरोना मैनेजमेंट में खामियों को लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर रही केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट को ही नसीहत दे डाली है. महामारी से निपटने की नीतियों को लेकर कोर्ट के सवालों पर केंद्र ने जो हलफनामा (एफिडेविट) पेश किया है, उसकी डिटेल सोमवार को सामने आयी. एफिडेविट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी को लेकर देश की स्ट्रैटजी पूरी तरह एक्सपर्ट मेडिकल और साइंटिफिक ओपिनियन के आधार पर चल रही है. इसमें न्यायिक दखल की गुंजाइश बेहद कम है.
सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमतों में फर्क है
केंद्र सरकार द्वारा रविवार को पेश एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि नेकनीयती से की गयी अतिउत्साही दखलंदाजी के अप्रत्याशित और अनचाहे नतीजे हो सकते हैं. किसी एक्सपर्ट सलाह या एडमिनिस्ट्रेटिव अनुभव के बिना इनोवेटिव सॉल्यूशंस की गुंजाइश काफी कम है. केंद्र ने वैक्सीन की कीमतों को लेकर कहा है कि यह सिर्फ किफायती ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक समान है.
साथ ही कहा कि कुछ राज्यों ने 18-45 साल की उम्र के लोगों को फ्री वैक्सीन लगाने का ऐलान किया है. बता दें कि कोर्ट ने पिछले सप्ताह केंद्र से कहा था कि वैक्सीन की कीमतों पर फिर से विचार किया जाये. क्योंकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमतों में काफी फर्क है.
केंद्र सरकार ने रविवार देर रात ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट पहुंचाया था
खबरों के अनुसार सुनवाई के क्रम में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इन मामलों पर सरकारी एफिडेविट मीडिया तक पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने रविवार देर रात ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट पहुंचाया था. यह सोमवार सुबह 10 बजे हमें मिला, लेकिन मीडिया के पास यह रात में ही कैसे पहुंच गया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि राज्यों को भी हमने अपना हलफनामा भेजा था. सॉलिसिटर जनरल ने वहां से गड़बड़ का अंदेशा जताया. इसके बाद SC ने कहा कि हम वैक्सीनेशन और हॉस्पिटलाइजेशन पॉलिसी पर केंद्र के एफिडेविट को पढ़ेंगे. इसके बाद अदालत ने सुनवाई गुरुवार तक टाल दी.