Seraikela (Bhagya Sagar Singh) : घर में अनुपयोगी व बेकार पड़ी वस्तुएं मात्र जगह घेरे रहती हैं, ऐसी वस्तुओं की सफाई सहित आंशिक कमाई का माध्यम कबाड़ीवाले बनते हैं, जो फेरी लगाते हुए पेपर, कॉपी-किताब, गत्ते सहित धातु की बनी वस्तुएं भी कबाड़ की कीमत में खरीद कर ले जाते हैं. मौजूदा समय में कुछ कबाड़ वाले अपने एजेंट छोड़ रखे हैं, जो शहर से गांव तक कबाड़ की वस्तुओं के नाम पर चोरी की वस्तुएं भी औने-पौने कीमत में खरीदने लगे हैं. कबाड़ की आड़ में इन दिनों चोरी की वस्तुओं की खरीद फरोख्त का कारोबार चल रहा है. सुबह होते ही बाइक एवं छोटे वाहन लेकर क्षेत्र में घूम रहे कबाड़ियों के बारे में न ही पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड रहता है और न ही कबाड़ियों के संबंध में नगर पंचायत के पास कोई विधिवत सूची. नगर पंचायत में संबंधित पदाधिकारी से पूछने पर उन्होंने जानकारी लेकर बताने की बात कही.
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कबाड़ के नाम पर ऐसे चल रहा है चोर बाजार का कारोबार
चोरी की वस्तुओं की खरीदारी के लिए कबाड़ीवाले का मुखौटा पहने कुछ लोगों ने अपना अलग तरीका ईजाद कर रखा है. ये डुगडुगी बजाते व आवाज लगाते निरन्तर गांव एवं बाजार की सड़कों पर घूमते हैं और कुछ लोगों से बातें भी करते रहते हैं. जबकि इनके काम की जगह उन्ही गांवों में कुछ लोगों के साथ ही रहती है. सरायकेला शहरी क्षेत्र से लेकर अगल-बगल के गांव में भी लगभग चार-पांच की संख्या में अवैध शराब के ठिकाने चलते हैं. इन्ही जगहों पर शराबी अपने घर सहित पड़ोसियों के भी विभिन्न प्रकार की वस्तुएं चोरी से लाकर उसके बदले शराब पीते हैं. उन्हीं वस्तुओं को शराब कारोबारी कबाड़ियों को बेच देते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के छुटभैये चोरों से भी इनका सीधा संबंध रहता है, जिनसे ये चोरी की वस्तुएं बोरी में भर कर सबकी नजरों से डुगडुगी बजाते हुए अपने अड्डों तक आराम से पहुंच जाते हैं. अब तो कबाड़ियों के यहां आधी कीमत पर चोरी की गई विविध काम की वस्तुएं भी बिकने लगी हैं.
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