Seraikela (Bhagya sagar singh) : सरकार द्वारा लंबे समय से क्षेत्र के बालू घाटों की नीलामी नहीं करने व घाटों से विधिवत बालू उठाव की अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किये जाने से क्षेत्र में सरकारी व निजी निर्माण कार्य ठप पड़ गए हैं. निर्माण कार्य ठप होने से निजी निर्माण करने वाले, ठेकेदार व निर्माण सामग्री परिवहन करने वाले ट्रैक्टर व अन्य वाहन संचालकों के रोजगार सहित बाजार पर भी इसका असर देखा जा रहा है. साथ ही इसका सीधा असर सभी तरह की मजदूरी से जुड़े मजदूरों पर भी देखने को मिल रहा है. राजमिस्त्री, लकड़ी मिस्त्री, प्लंबर सहित महिला व पुरुष मजदूरों की एक बड़ी संख्या इन दिनों मजदूरी नहीं मिलने से हाथ में टिफिन का थैला पकड़े घर वापस लौट रहे हैं, काम नहीं मिलने के कारण बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
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आपसी हंसी-मजाक के साथ काम करने वाले मजदूरों में अब छाई है मायूसी
सरायकेला के साप्ताहिक हाट परिसर सहित एक-दो मुख्य चौक में प्रतिदिन नजदीकी गांव से मजदूर काम की खोज में आते हैं. जहां आपस में एक-दूसरे से हंसी मजाक के साथ समय पर अपने-अपने काम पर निकल जाया करते थे. इनके ठिकानों पर निजी कार्य कराने वाले व ठेकेदार सुबह ही पहुंच जाते थे, क्योंकि उन्हें हमेशा मजदूर नहीं मिलने का डर रहता था. बीड़ी-खैनी के साथ चाय पिला कर मजदूरों को ठेकेदार अपने साथ लेकर जाते थे.
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लेकिन अब स्थिति कुछ और हो गई है. काम की खोज में आये मजदूरों को मायूस होकर घर लौटना पड़ रहा है. बीड़ी-खैनी व चाय क्या जरूरत पर पांच दस रुपये उधार भी नहीं मिल रही है. काम की खोज में अब मजदूर ही जल्दी अपने ठिकानों पर पहुंच रहे हैं, जिनमें से कुछ ही तकदीर वाले एक-दो को मजदूरी मिल रही है. मजदूरों की खोज करने वाले ठेकेदारों ने भी अब ठिकानों पर जाना बंद कर दिया है.
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