Sindri : पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शुक्रवार 28 जनवरी को सिंदरी कॉलेज सिंदरी एवं बिजनी कॉलेज आसाम के बंगला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में समाज एवं साहित्य में महिला सशक्तीकरण की वर्तमान दशा एवं दिशा पर पुनर्विचार विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार शुरू हो गया. वेबीनार का उद्घाटन करते हुए बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति सह उत्तरी छोटानागपुर के आयुक्त कमल जॉन लकड़ा ने कहा कि महिला सशक्तीकरण से सिर्फ एक महिला का नहीं, बल्कि पूरे समाज एवं राष्ट्र का सशक्तीकरण होता है.
महिलाओं के साथ भेदभाव सुनियोजित
मुख्य अतिथि बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष डॉ देबयानी विश्वास ने कहा कि समाज में एक पूर्व नियोजित तरीके से महिलाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है. देश में महिला सशक्तीकरण की नीतिगत और वास्तविक स्थिति में काफी अंतर है. नीतियों एवं कानूनों के बावजूद वास्तविक स्थिति यह है कि समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त नहीं है. अतः आवश्यक है कि देश की नीति निर्धारक शक्तियां महिलाओं के सशक्तीकरण की नीति पर पुनर्विचार करे.
जरूरत है उपलब्धियों और परिणामों की जांच
सिंदरी कॉलेज की बांग्ला विभागाध्यक्ष एवं वेबिनार की संयोजिका डॉ शर्मिष्ठा आचार्य तथा बिजनी कॉलेज की बांग्ला विभागाध्यक्ष डॉ उर्मिला पोद्दार ने कहा कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य 21वीं शताब्दी में महिला सशक्तीकरण की प्रक्रिया से अपनाई जाने वाली परिस्थितियों के साथ उपलब्धियों और परिणामों की जांच करना है.
भारत में अब भी पुरुष प्रधान समाज
विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के डॉ सुदीप वासु कहा कि भारत सहित विश्व के कई देशों में महिला प्रधानमंत्री एवं मंत्री होने के बावजूद समाज अभी भी पुरुष प्रधान बना हुआ है. रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद ने महिला सशक्तीकरण की बात सिर्फ महिलाओं के उत्थान के लिए नहीं, बल्कि एक समृद्ध एवं सुखी समाज की स्थापना के लिए की थी. इसके अलावा प्रथम तकनीकी सत्र को देश के कई प्राध्यापकों ने संबोधित करते हुए अपने विचार प्रकट किये. इससे पहले सिंदरी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नकुल प्रसाद तथा बिजनी महाविद्यालय आसाम के प्राचार्य डॉ बीजी बासु मतारी ने अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया.
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