New Delhi: प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सैन्य बल बहुत अनिश्चित माहौल में काम कर रहा हैं. क्षेत्र में शांति के लिए सेना की क्षमता बढ़ानी होगी. अगर सैन्य ताकत मजबूत नहीं होगी, तो भारत के विरोधी इसका फायदा उठा सकते हैं. भारत जरूरत पड़ने पर आस-पड़ोस के मित्र देशों के साथ अपनी सैन्य क्षमता को साझा करना चाहता है. प्रमुख रक्षा अध्यक्ष और सैन्य मुद्दों पर आधारित एक पोर्टल ‘भारतशक्ति डॉट इन’ के पांचवें वार्षिक सम्मेलन के शुरुआती सत्र को संबोधित करते हुये यह बातें कही.
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सेना को युद्ध की तैयारी करनी चाहियेः रक्षा अध्यक्ष
जनरल रावत ने कहा, आज हम बेहद जटिल, अनिश्चित और अस्थिर माहौल में काम कर रहे हैं. विश्व के तकरीबन हर क्षेत्र में छोटी-बड़ी जंग छिड़ी हुई है. इसलिए यदि हमें खुद की रक्षा करनी है तो हमें मजबूत सैन्य बल की जरूरत है.
जनरल रावत ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पिछले छह महीने से तनाव चल रहा है. दोनों पक्षों के बीच तनाव सुलझाने के लिए सिलसिलेवार राजनयिक और सैन्य वार्ता भी हुई है. हालांकि कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है.
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जनरल रावत ने कहा, हमारी नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात है, जहां से जहाजों का सबसे ज्यादा आवागमन होता है. उन्हें समुद्र में ही नहीं, बल्कि समुद्र के भीतर काम करने के साथ ही तेजी से बन रहे जटिल हालात के बीच प्रौद्योगिकी को विकसित करने की जरूरत है.
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जनरल रावत ने कहा, ‘हम विदेशी भागीदारी को आमंत्रित करने से नहीं हिचकिचाते हैं, जो कि हमारे उद्योगों की सहायता कर सकती है और इससे आगे बढ़ने में मदद मिलती है. हम दुनिया के दूसरे सैन्य बलों खासकर पड़ोसियों के साथ भी अपनी क्षमता साझा करना चाहता है.’ उन्होंहे कहा कि ‘हम उन सबकी मदद करना चाहते हैं जिन्हें हमारे सहयोग की जरूरत है खासकर उन देशों को जो अच्छी हथियार प्रणाली चाहते हैं.’