New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने फ्रैंकलिन टेंपलटन मामले की सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दी है. फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने 23 अप्रैल 2020 को अपनी छह योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी. कंपनी ने यह फैसला बॉन्ड बाजार में लिक्विडिटी की कमी और निकासी में हो रही परेशानी के कारण लिया था. इस मामले में अहमदाबाद के यूनिट होल्डर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद यूनिट होल्डुर्स को पैसा वापस लौटाने का फैसला सुनाया था.
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लिक्विडिटी में कमी के कारण बंद हुई थी योजनाएं
फ्रैंकलिन टेंपलटन ने छह योजनाओं को बंद करने का फैसाल लिया था. इसमें इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शार्ट बांड फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शार्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनैमिक एक्रूअल फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम आपुर्चिनिटीज फंड थे. कंपनी ने भुगतान के दबाव और बॉन्ड बाजार में लिक्विडिटी की कमी का हवाला देकर 23 अप्रैल को इन म्यूचुअल फंड योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी.
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तीन हफ्ते में 9122 करोड़ वापस करने मिला था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में फ्रैंकलिन टेंपलटन की 6 म्यूचुअल फंड योजनाओं के यूनिट होल्डिर्स को तीन सप्ताह के भीतर 9122 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था. अपने पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यूनिट होल्ड र्स को फंड ट्रांसफर की मॉनिटरिंग की जिम्मेयदारी एसबीआई म्यू2चुअल फंड्स को दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने यूनिट होल्डर्स को उनके निवेश किये गये यूनिट्स के अनुपात में फंड ट्रांसफर करने का आदेश दिया था.
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प्री और कूपन पेमेंट से कंपनी को अब तक 13789 करोड़ रुपये मिला
फ्रैंकलिन टेंपलटन ने कहा था कि अब तक मैच्यो रिटी , प्री-पेमेंट और कूपन पेमेंट के तौर पर 13789 करोड़ रुपये ही मिला. पांच योजनाओं में 15 जनवरी 2021 तक 9190 रुपये नकद मौजूद था. बंद होने वाले फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बांड फंड के 63 फीसदी एसेट्स कैश में हैं. वहीं लो डुरेशन फंड के 50 फीसदी एसेट्स, डायनामिक एक्यूरल फंड के 41 फीसदी, क्रेडिट रिस्क फंड के 26 फीसदी और फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान के 9 फीसदी एसेट्स कंपनी के पास कैश में हैं.
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