Pravin Kumar
Ranchi : गर्मी के सीजन में खीरा, ककड़ी और तरबूज की खूब बिक्री होती है. बाजार में लाल तरबूज दिखते हैं, जिसकी भारी मांग होती है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि पीला तरबूज भी होता है, जिसका टेस्ट लाल वाले से ज्यादा मीठा होता है? झारखंड के एक किसान ने इस साल पीला तरबूज उगाया है, जिसकी बड़ी चर्चा है. इस किसान का नाम है गंझू पूर्ति. रांची जिला के तमाड़ के देबड़ी गांव का 32 वर्षीय आदिवासी युवा किसान ने इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के सर्विस इंजीनियर की नौकरी छोड़कर खेती किसानी को अपना पेशा बनाया है.
गंझू पूर्ति को खेती- बाड़ी में इनोवेशन का शौक
गंझू पूर्ति के इस कार्य में उनके बड़े भाई, जो झारखंड राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, भरपूर उत्साहवर्धन और सहयोग कर रहे हैं. गंझू पूर्ति और उनके भाई की मेहनत से उनकी पैतृक भूमि आज एक फार्म हाउस में बदल गया है, जहां पर समावेशी ऑर्गेनिक खेती की जा रही है. गंझू पूर्ति को खेती- बाड़ी में इनोवेशन करने का शौक है. वे वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं. हमेशा कुछ नया करने की सोच के साथ खेती किसानी को आपना पेसा बनाकर युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं.
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पीले तरबूज में पोषक तत्व भी भरपूर
गंझू पूर्ति ने बताया कि पीले तरबूज की मिठास लाल तरबूज से ज्यादा होने के साथ इसमें पोषक तत्व भी भरपूर है. लाल की तरह पीले तरबूज का बाहरी छिलका भी हरा है, लेकिन काटने पर अंदर से पीला दिखता है. गंझू पूर्ति का दावा है कि दोनों में फर्क सिर्फ रंग को लेकर है. एक लाल है, तो दूसरा पीला. पीले तरबूज से अच्छी कमाई भी हो रही है. लोगों के लिए यह नई उपज है और पारंपरिक उपज से हटकर है. इसलिए बेचने पर अच्छा पैसा मिल रहा है.
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बाजार में पीले तरबूज की मांग अधिक रही
खेती के बारे में बात करते हुए गंझू पूर्ति ने बताया, बहुत डरते हुए उन्होंने पीले तरबूज की खेती शुरू की. बड़े भाई कुंवर पहान को भी आशंका थी कि कहीं यह तरबूज यहां के लोग पसंद ना करें. इस डर से हमलोगों ने सिर्फ एक एकड़ में ही पीला तरबूज लगाया. बाकी के 8 एकड़ में लाल तरबूज लगाये. बताया कि इस सीजन में उन्हें तरबूज से करीब 7 लाख रुपये की आमदनी हुई है. बाजार में पीले तरबूज की मांग अधिक रही. गंजू कहते हैं, इस वर्ष बैगन की खेती में हमें लाभ नहीं हुआ. 4 एकड़ में बैगन की खेती की थी. लेकिन सही बाजार नहीं मिलने के कारण नुकसान तो नहीं, लेकिन लाभ नहीं हो सका.
सोलर पंप के सहारे टपक विधि से करते हैं सिंचाई
गंझू पूर्ति ने बताया, जिस जमीन पर हमने फार्म हाउस तैयार किया है, यहां पहले साल में एक ही बार फसल होती थी. यहां पानी की समस्या है. पर्याप्त पानी नहीं होने के कारण सिंचाई संभव नहीं था. इसका हल निकालते हुए टपक विधि से सिंचाई का सिस्टम लगाया गया. साथ में सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई की जाती है. इस विधि से काम पानी में सिंचाई की जरूरत पूरा कर पा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि एक बड़ा तालाब अगर हम बना पाएं तो सिंचाई के लिए पानी का हम भंडारण कर सकेंगे.
हाईटेक बागवानी भी कर रहे गंझू पूर्ति
गंझू पूर्ति बागवानी भी हाईटेक तकनीक से कर रहे हैं. अमरूद, केला, नीबू का पैदावार नई तकनीक से कर रहे हैं. उन्होंने बाग में सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन की व्यवस्था की है. इसके अलावा फार्म में करेला की खेती भी करते हैं.
अपने फार्म पर 20 लोगों को दे रहे रोजगार
गंझू आगे कहते हैं कि खेती से हम आर्थिक रूप से मजबूत हो ही रहे, गांव के 20 लोगों को साल में 200 से 250 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने में भी सक्षम हो पा रहे हैं. आगे की योजना है कि यहां पर डेयरी, मुर्गी, गोट की फार्मिंग शुरू की जाए. मेरे बड़े भाई के सहयोग से ही यह संभव हो सका है. हम दोनों भाइयों की सोच है कि खेती किसानी की उत्तम तकनीक का प्रयोग करते हुए राज्य के युवाओं को स्वरोजगार और खेती किसानी के लिए प्रेरित करें, ताकि उन्हें मासिक 9-10 हजार रुपये कमाने के लिए पलायन न करना पड़े.
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