Ranchi : नागपुरी भाषा परिषद द्वारा बुधवार को प्रेस कलब में आयोजित समारोह में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजित कुमार सिन्हा ने कहा की झारखंड की संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने की जरूरत है. नागपुरी दिवस सह प्रफुल्ल सम्मान एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह में उन्होंने कहा कि नागपुरी भाषा के साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर राज्य में ट्राइबल कल्चरल प्रोग्राम करने की जरूरत है. इसमें देश- विदेश के लोगों को बुलाया जाएगा. इससे भाषा, संस्कृति और सभ्यता का आदान- प्रदान होगा. छात्र-छात्राओं को इससे सीखने और जानने का मौका मिलेगा.
अखड़ा कला, संस्कृति का उत्पति स्थल
पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि अखड़ा कला, संस्कृति का उत्पति स्थल है. भाषा विकास के साथ गाना बजाने, नाचने का केंद्र अखड़ा है. इसे बचाने की जरूरत है. इसी से आदिवासी मूलवासी का उद्भव हुआ है. वर्तमान समय में अखड़ा टूट रहा है. युवा पीढ़ी विमुख हो रही है. इसे राह दिखाने के लिए अखड़ा को बचाना जरूरी है. वर्तमान समय में बच्चों के खेलने के लिए मैदान नहीं है. इससे बचपना खत्म हो गई. बच्चों के पास मोबाईल, फेसबुक और वाट्सअप आ गये हैं. इससे उन्हें बचाने की जरूरत है.
चार पुस्तकों का लोकार्पण
नागपुरी दिवस के अवसर पर चार पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. डॉ शकुंतला कुमारी की झारखंड के पारंपरिक आभूषण, डॉ अंजुलता कुमारी की सदानों की कला संस्कृति, अर्जुन भगत की विभिन्न रचनाओं की अर्जुन कर तीर और डॉ नाफर अली की नईमुद्दीन मिरजहां पुस्तक का विमोचन हुआ.
तीन लोगों को प्रफुल्ल सम्मान से नवाजा गया
नागपुरी गायक गुमला के बसिया निवासी मनोहर माहंती तथा प्रख्यात नागपुरी गायक महावीर नायक को प्रफुल्ल सम्मान से नवाजा गया गया. पहली बार संस्था के रूप में नागपुरी साहित्य संस्कृति मंच की गुमला शाखा को भी नागपुरी भाषा परिषद की ओर से प्रफुल्ल सम्मान दिया गया. मौके पर नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नंद तिवारी, जनजातीय विभाग के समन्वयक डॉ हरि उरांव, रामलखन कॉलेज के डॉ खालिद अहमद, मांडर कॉलेज के सहायक प्रो. डॉ नाफार अली, नागपुरी भाषा परिषद के महासचिव डॉ क्षितिज कुमार रॉय समेत सैकड़ों छात्र-छात्राओं, शोधार्थी समेत कॉलेज के प्रोफेसर मौजूद थे.
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