Ranchi : उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महा आस्था का छठ पर्व का सोमवार को समापन हो गया. राजधानी सहित राज्यभर के नदियों, तालाबों के किनारे के साथ ही घर में बने कुंडों में छठव्रती महिलाओं और उनके परिजनों ने भगवान भास्कर के दोनों रूपों (अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य) को अर्घ्य दिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर राज्य के विकास और राज्यवासियों की सुख- समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा. मुख्यमंत्री रांची के नक्षत्र वन स्थित हटनिया तालाब पहुंचे तथा सैकड़ों व्रतियों के बीच छठ पूजा में शामिल हुए. इस दौरान उनकी धर्म पत्नी कल्पना सोरेन और दोनों बेटे साथ थे.
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प्रकृति पर आस्था और उससे जुड़ाव भारतीय संस्कृति की रही है परंपरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महापर्व सूर्य भगवान की आराधना के लिए जाना जाता है. छठ महापर्व प्रकृति की पूजा का प्रतीक है. प्रकृति पर आस्था और उससे जुड़ाव भारतीय संस्कृति की परंपरा रही है. हमारी माताएं-बहनें 72 घंटे का व्रत रखकर भगवान भास्कर की आराधना करती हैं. यह हजारों साल पुरानी अद्भुत परंपरा है. राज्यवासियों को महापर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठी मैया से उनकी प्रार्थना है कि सभी सुखी हों, सब निरोगी रहें, छठी मैया सबका मंगल और कल्याण करें. मुख्यमंत्री एवं उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन ने हटनिया तालाब में डिप्टीपाड़ा निवासी छठ व्रती विनोद कुमार वर्मा एवं दीनदयाल नगर निवासी छठ व्रती शिवनारायण राम के परिजनों के साथ डूबते भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपनी श्रद्धा अर्पित की.
कोरोना संक्रमण से मिली राहत ने बढ़ाया महापर्व का उत्साह
मुख्यमंत्री ने कहा कि छठ महापर्व के अवसर पर हर तरफ भक्ति का रंग कुछ अलग ही दिखाई पड़ा. कोरोना महामारी के कारण जहां पिछले वर्ष महिलाओं ने सीमित रूप में ही व्रत किया था, वहीं इस बार कोरोना से राहत मिलने की स्थिति में फिर वही पुराना उत्साह और जोश के साथ छठ पर्व मनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने भगवान भास्कर से प्रार्थना की कि इसी उत्साह और उमंग के साथ हमारी सभी परंपराएं आगे बढ़ती रहें. सभी छठ व्रतियों एवं श्रद्धालुओं पर भगवान भास्कर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें .
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