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एक ऐसे कवि की कहानी जिसने बना दिया दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार

by Lagatar News
18/04/2022
in देश-विदेश

Shahroz Quamar

आम धारणा है कि कवि संवेदनशील होता है. सबसे अधिक कविताएं दुनिया में दुख-दर्द और विरह-बिछोह की मिलती हैं. कभी आफत, संकट आ जाये या कोई दुश्मन आक्रमण कर दे तब भी कवि रचनाओं के माध्यम से उसका प्रतिकार करता रहा है. उसका अस्त्र कलम-स्याही और कागज़ ही होते हैं. उर्दू का बहुत मशहूर शेर ही है:

है नहीं शम्सीर हाथों में तो क्या हुआ

हम कलम से ही करेंगे कातिलों के सर कलम.

जब उस कवि ने संसार को अलविदा कहा तो उसकी पहचान एक हथियार आविष्कारक के रूप में हुई, जबकि उसकी कविताओं की छह किताबें प्रकाशित हो चुकी थीं.

तितलियों के पीछे फूलों संग गुजरा बचपन

जानकर हैरान रह जाएंगे कि 10 नवंबर 1919 को जब घर की 17वीं संतान के रूप में रूस के एक मज़दूर परिवार में उसका जन्म हुआ तो उसके पालन-पोषण में घर की आर्थिक स्थिति बाधा बनी. उसके बाद घर में दो और शिशु का जन्म हुआ. कमजोर यह बालक दिन भर रंग-बिरंगी तितलियों के पीछे भागता. उसे फूलों से बहुत लगाव था. कमजोर था ही छह साल की उम्र में गंभीर बीमारी ने उसे चपेट में ले लिया. डॉक्टरों ने जवाब तक दे दिया. लेकिन कुदरत को उसे जिंदा रखना था. जब वो ठीक हुआ तो गीत-गुनगुनाने लगा. अक्षर ज्ञान हुआ तो कॉपियों पर कविताएं लिखने लगा. इसकी एक और रुचि थी. किसी भी मशीन को खोलकर देखना और उसे फिर बना देना. जब 19 साल का हुआ तो रूसी सेना में भर्ती हो गया. बहाली मिस्त्री के रूप में हुई बाद में लेफ्टिटेन्ट के ओहदे तक पहुंचा. उम्र के 28 वें पड़ाव पर उसने दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बना लिया था.

एक मिनट में 600 राउंड फायर यानी AK 47

आपने AK 47 का नाम सुना ही होगा. ये उसी कवि ने बनाई थी. ऐसी रायफल जो एक मिनट में 600 गोलियां उगलती है. ऐसा नाम क्यों रखा गया. ये भी बताते हैं. A का मतलब है एवटोमेट यानी मशीन और K का अर्थ है कलाश्निकोव. यह उस कवि का नाम था. पूरा नाम था मिखाइल कलाश्निकोव. 47 इसलिए कि मिखाइल ने इसी वर्ष इसका आविष्कार किया.

हिटलर के हमले में जब मारे गए 88 हजार रूसी सैनिक तो आया विचार

मिखाइल रूसी सेना में बतौर टैंक मैकेनिक भर्ती हुए थे. जब दूसरे विश्‍व युद्ध के समय 1941 में हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला कर दिया तो 88 लाख से अधिक सैनिक मारे गए थे. मिखाइल के टैंक में भी आग लगी और वह बुरी तरह घायल हो गए. इस भयावहता और देश के सैनिकों के इतनी बड़ी संख्या में मारे जाने के बाद मिखाइल दिन-रात एक ऐसे हथियार बनाने के बारे में सोचने लगे, जिससे मिनटों में कई शत्रु-सैनिक की जान ली जा सके. इसपर काम करना भी शुरू कर दिया और 6 वर्षों में ही उनकी कल्पना और परिश्रम धरातल पर थी. उन्होंने AK-47 जैसी खतरनाक रायफल बना दी थी. फुल ऑटोमेटिक सेटिंग के साथ एक मिनट में 600 राउंड फायर कर सकने वाली इस रायफल का लोहा पूरी दुनिया ने माना.

बाद में मिखाइल को हुआ बहुत पछतावा

जब मिखाइल की आलोचना होनी शुरू हो गयी कि उनके बनाए हथियार से हजारों लोगों की जान चली जाती है. उन्हें नींद कैसे आती होगी. मिखाइल तब राष्ट्रवादी जुनून में थे, वे सभी सवालों से लापरवाह रहे. 23 दिसम्‍बर 2013 को निधन हुआ. लेकिन उन्हें अपने अंतिम दिनों में पश्चाताप अवश्य हुआ. कवि भावुक हुआ. कहने लगे, ‘इस बात का अफसोस है कि AK-47 जैसी रायफल बना दी जो तबाही का कारण बन चुकी है. मैं किसानों के लिए खास घास काटने की मशीन बनाना चाहता हूं.’ लेकिन नियति ने उन्हें मुहलत न दी.

इसे भी पढ़ें- पहली बार किसी इंजीनियर के हाथों भारतीय सेना की कमान, मनोज पांडे होंगे अगले सेना प्रमुख

 

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