Barhi : प्रखंड के पशुपालक लंपी वायरस से इन दिनों परेशान हैं. इस वायरस से बरही प्रखंड के कोनरा, बेंदगी, गौरियाकरमा, करसो समेत कई पंचायतों के दर्जनों मवेशियों की जान जा चुकी है और कई आक्रांत हैं. अभी तक इससे बचाव के लिए प्रखंड प्रशासन की ओर से कोई समुचित कदम नहीं उठाया गया है. यह पशुपालकों के लिए चिंता का विषय है.
क्या है लंपी के लक्षण
लंपी के संबंध में जानकारी देते हुए पशु प्रक्षेत्र गौरिया करमा के प्रबंधक सह पशु चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि इस प्रकार के मौसम में प्रायः इस वायरस का प्रभाव देखा गया है. इसके संक्रमण से सबसे पहले मवेशियों के गर्दन के आस पास छोटे छोटे फुंशीनुमा संरचना बनती है. जो धीरे-धीरे फोड़े में बदल जाता है और पूरा शरीर इस फोड़े से संक्रमित हो जाता है. जिससे पशु को खाने, चलने आदि में परेशानी होती है. तेज बुखार होने लगती है. यदि ध्यान नहीं दिया जाए तो मवेशी की मौत भी हो सकती है.
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लंपी से बचाव के उपाय
वायरस से बचाव का सबसे प्रमुख उपाय साफ-सफाई है. प्रखंड भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. डेविड बाड़ा ने बताया कि यह एक संक्रामक रोग है. जो एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है. ऐसे में संक्रमित पशुओं की नियमित सफाई, उसे अन्य पशुओं के संपर्क से दूर रखने के साथ नीम की पत्तियों से धुलाई करनी चाहिए. इसके साथ ही पशुओं के निवास स्थान की नियमित फिनाइल से सफाई करनी चाहिए. नालियों में ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग करना चाहिए.
नहीं हो सका है टीका का समुचित प्रबंध
बीएचओ डॉ. मुकेश कुमार ने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए टीकाकरण का कार्य प्रारंभ किया गया है. अब तक लगभग दो हजार पशुओं को टीका लगाया जा चुका है. टीका की कमी है. उपलब्धता के आधार टीकाकरण का कार्य जारी है. उन्होंने पशुपालकों से अपील की है कि लंपी वायरस से पशुओं की सुरक्षा करने के लिए दवा से अधिक सावधानी बरतनी जरूरी है.
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