Sanjeet Yadav
Palamu : जिले की सरकारी एंबुलेंस से अब मरीज ले जाने के बजाये अस्पताल के कर्मियों को ढोने का काम हो रहा है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि सामने आयी तस्वीर बयां कर रही है. तस्वीर में देखा जा सकता है कि एंबुलेंस से कैसे अस्पताल के कर्मियों और नर्सों को ढोने का काम किया जा रहा है. नियमों को ताक पर एंबुलेंस ड्राइवर कर्मियों और नर्सों को पीक एन ड्रांप की सर्विस दे रहे हैं. झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करते हुए सभी जिलों में सरकारी एंबुलेंस की सुविधा दी है. जिससे मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके और समय पर इलाज शुरू हो जाये. ताकि मरीजों की जान बच जाये.
सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग हो रहा
सरकार यह दावा करती है कि 102 डायल करते ही एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच जायेगी और मरीजों को सही समय पर अस्पताल पहुंचा देगी. लेकिन जिले के एंबुलेंस ड्राइवरों की मनमानी की वजह से सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग हो रहा है. एंबुलेंस की सेवा आमजन को नहीं मिल पा रही है. जब Lagatar.in की टीम इस तस्वीर की पड़ताल करते हुए अस्पताल पहुंची तो वहां कोई भी सीनियर अधिकारी मौजूद नहीं थे. वहीं नाम नहीं छापने की बात करते हुए कर्मियों ने बताया कि अभी कुछ दिनों से लेस्लीगंज और चैनपुर में एएनएम की ट्रेनिंग दी जा रही है. सभी एएनएम को सुरक्षित वाहन से मेदिनीनगर से लेस्लीगंज और चैनपुर पहुंचाना है. कोई वाहन नहीं रहने के कारण एंबुलेंस से एएनएम को पहुंचाया और लाया जा रहा है.
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दोषियों पर होगी कार्रवाई
इस मामले में पलामू डीपीएम (डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम मैनेजर,स्वास्थ्य विभाग) दीपक कुमार से फोन के माध्यम से बात की गई. तो उन्होंने बताया कि फोटो के माध्यम से मामले की जानकारी मिली है. जांच की जा रही है. जांच करने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
एंबुलेंस नहीं मिलने से दो लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि 9 नवंबर 2022 को एमएमसीएच में इलाजरत प्रभु परहिया, प्रमोद परहिया को रिम्स,रांची के लिए रेफर किया गया था. लेकिन एंबुलेंस समय पर नहीं मिलने के कारण मरीज को रिम्स नहीं पहुंचाया जा सका, जिसके कारण प्रभु परहिया की मौत हो गयी. वहीं 10 नवंबर 2022 को लगभग 4:00 बजे इलाजरत प्रमोद परहिया को रिम्स ले जाया जा रहा है. लेकिन रास्ते में उसने भी दम तोड़ दिया. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में काफी हंगामा किया था. हंगामा के बाद अस्पताल के कर्मियों द्वारा समझा-बुझाकर मामला को शांत कराया गया था.
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