New Delhi : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार काउंसिल के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने केवल एक जीएसटी रेट का सुझाव दिया है. इनकम टैक्स छूट को भी खत्म करने की वकालत की है. मौजूदा समय में जीएसटी रेट्स के चार स्लैब हैं. वहीं डायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर इनकम टैक्स में टैक्सपेयर्स को कई प्रकार की छूट हासिल है.
सिर्फ एक दर होनी चाहिए
विवेक देबरॉय ने कहा कि जीएसटी पर यह मेरी राय है कि कर की सिर्फ एक दर होनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कभी होगा. उन्होंने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि उत्पाद कोई भी हो जीएसटी दर एक होनी चाहिए. हालांकि उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके विचार को प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार समिति का सुझाव नहीं माना जाए, क्योंकि ये उनका निजी विचार है. उन्होंने कहा कि यदि हम प्रगतिशीलता दिखाना चाहते हैं, तो यह डायरेक्ट टैक्स के जरिये होनी चाहिए, जीएसटी या अप्रत्यक्ष करों के जरिये नहीं. देबरॉय ने कहा कि केंद्र और राज्यों का कर संग्रह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का मात्र 15 फीसदी है, जबकि सार्वजनिक ढांचे पर सरकार के खर्च की मांग कहीं ज्यादा है.
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फिलहाल जीएसटी रेट्स के चार स्लैब
एक जुलाई 2017 को एक देश एक टैक्स यानि जीएसटी को लागू किया गया था. जीएसटी में चार स्बैल हैं- 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी, 28 फीसदी. कुछ वस्तुएं जिन पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है, उस पर सेस भी वसूला जाता है, जैसे लग्जरी कार और तंबाकू.
टैक्स छूट खत्म करने का सुझाव!
देबरॉय ने डायरेक्ट टैक्स में दिए जाने वाले छूटों को भी खत्म करने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि हमें ज्यादा टैक्स के भुगतान करने के लिए तैयार रहना चाहिए या फिर सार्वजनिक सुविधाओं या सर्विसेज में कमी का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर वर्ष बजट पेपर में टैक्स छूट या रियायत के चलते रेवेन्यू में होने वाले नुकसान की बात की जाती है, जो कि जीडीपी का 5.5 फीसदी के करीब है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये छूट होने चाहिए. उन्होंने पर्सनल इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स सिस्टम में किसी भी प्रकार के अंतर को खत्म करने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि इससे प्रशासनिक अनुपालन का बोझ कम होगा.
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