Ranchi : राज्य के अनुबंधकर्मियों को नियमित नहीं किया जा पा रहा है. इसके लिये राज्य सरकार के तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जिम्मेदार हैं. ये तीन अधिकारी हैःं विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, कार्मिक सचिव वंदना डाडेल और वित्त सचिव अजय कुमार सिंह. इन तीन अफसरों की ही जिम्मेदारी है कि वह राज्य सरकार को बतायें कि किस तरह अनुबंधकर्मियों को नियमित किया जा सकता है. सरकार ने अनुबंधकर्मियों को नियमित करने के लिये अगस्त 2020 में एक कमेटी बनायी थी. कमेटी को यह तय करना है कि अनुबंधकर्मियों को नियमित कैसे किया जाये. आश्चर्यजनक ढंग से इन तीन अधिकारियों ने एक साल बीतने के बाद भी सरकार को कोई रिपोर्ट नहीं दी. पता चला है कि इन अफसरों ने इस दौरान एक भी बैठक नहीं की. हेमंत सरकार ने अपनी चुनावी घोषणा में अनुबंधकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था. इन अफसरों की वजह से सरकार अपना यह वादा पूरा करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रही है.
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधानसभा चुनाव से पहले अनुबंधकर्मियों के नियमितिकरण का जो वादा पूरा किया था. लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं पाया है. ऐसा इसलिये क्योंकि अपने वादे को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने तो अगस्त 2020 को विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक तीन IAS अधिकारियों वाली उच्चस्तरीय कमेटी बनायी थी. कमेटी बने हुए करीब 14 माह बीत चुके हैं, पर अबतक कुछ नहीं हुआ.
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जेएमएम को हो सकता है नुकसान
राज्य सरकार ने तो अपने वादों को पूरा करने के लिए कमेटी बनाकर इस पर अधिकारियों से परामर्श मांगी थी. अनुबंधकर्मियों के विहित प्रक्रिया के तहत नियमित करने का मुद्दा जेएमएम के प्रमुख एजेंडे में था. लेकिन शीर्ष अधिकारियों द्वारा कमेटी की एक भी बैठक नहीं की. जाहिर है कि इसका सीधे-सीधे नुकसान जेएमएम को ही सकता है.
अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों के हित के लिए देना था परामर्श
विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में कार्मिक सचिव को सदस्य सचिव और योजना सह वित्त सचिव को कमेटी का सदस्य बनाया गया था. इस उच्चस्तरीय कमेटी का काम अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों की संख्या, नियुक्तियों में अपनायी गयी प्रक्रिया की विवरणी, उनकी सेवा शर्तों, सेवा अवधि और मानदेय की विवरणी, न्यायालय के आदेश के आलोक में कर्मियों की सेवा नियमितीकरण की संभावनाएं और उनकी वर्तमान सेवा शर्तों के सुधार के संबंध में परामर्श देना था.
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कभी भी चर्चा के लिए नहीं बैठे अधिकारी, दूसरे अन्य कार्यों में रहे व्यस्त
मुख्यमंत्री के सहमति के बाद चाहिए तो यह था कि कमेटी के सदस्य एक साथ बैठते और अनुबंध कर्मचारियों के उद्देश्यों के लिए सरकार को परामर्श देने पर काम करते. लेकिन वे कभी भी चर्चा करने के लिए नहीं बैठे. न ही उन्होंने एक साथ मुद्दा उठाया. सभी अधिकारी दूसरे अन्य कार्यों में व्यस्त रहे.
विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह ने माना, “अभी तक कोई भी बैठक नहीं हुई है”
कमेटी के कभी भी साथ नहीं बैठने की जानकारी तब हुई, जब राज्य में कोरोना महामारी को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव का अतिरिक्त प्रभार लेने वाले विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह ने यह जानकारी स्वंय दी. उन्होंने स्वीकारा कि “अभी तक कोई भी बैठक नहीं हुई है,”. उन्होंने यह जानकारी वाट्सअप के द्वारा लगातार को दी. जब उनसे पूछा गया कि बैठक कब होगी, तो उनका सुझाव था कि आपको DOPT कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग से पूछना चाहिए.
कार्मिक सचिव ने कहा, आज बातचीत संभव नहीं, तो वित्त सचिव से नहीं हो पाया संपर्क
इस बारे में जब कार्मिक सचिव वंदना डांडेल से बात करने की कोशिश की गयी, तो उनका जवाब था कि ‘आज बातचीत संभव नहीं’. वहीं वित्त सचिव अजय कुमार से संपर्क नहीं हो पाया है.