UN : यदि अफगानी अर्थव्यवस्था में निवेश नहीं किया गया तो देश में लाखों लोग गरीबी और भुखमरी के दलदल में फंस सकते हैं. अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और समाज पूरी तरह से तबाह हो सकते हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र की विशेष राजनयिक देबोराह लियोन ने कही. लियोन का मानना है कि दुनिया को साथ आकर अफगानिस्तान की ध्वस्त हो चुकी इकॉनमी को संभालने का प्रयास करना चाहिए. साथ ही यह डर भी खत्म करना जरूरी है कि तालिबान के टेकओवर से अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों पर भी असर देखने को मिलेगा. राजनयिक ने कहा कि अफगानिस्तान में पैदा हुए मानवीय संकट का हल तलाशने के लिए प्रयास किया जाना जरूरी है.
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अफगानिस्तान की अरबों डॉलर की संपत्ति फ्रीज है
राजनयिक देबोराह लियोन के अनुसार इससे आगे एक और संकट अफगानिस्तान के आगे मुंह बाये खड़ा है. इसका कारण अफगानिस्तान की अरबों डॉलर की संपत्ति को फ्रीज किया जाना है. उन्होंने कहा कि संपत्ति को फ्रीज किये जाने से अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जायेगी और इससे लाखों लोग गरीबी और भुखमरी के संकट में घिर जायेंगे. चिंता जतायी कि इससे बड़ी संख्या में पलायन शुरू हो सकता है. अफगानिस्तान कई पीढ़ियों पीछे जा सकता है.
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तालिबान को कुछ वक्त दिया जाना चाहिए
15 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में देबोराह लियोन ने कहा, अर्थव्यवस्था को कुछ महीनों का समय मिलना चाहिए. तालिबान को कुछ वक्त दिया जाना चाहिए कि वह दिखा सके कि उसका इस बार क्या प्लान है. खासतौर पर मानवाधिकार, लैंगिक न्याय और आतंक के खिलाफ जंग के मामले में उसकी प्रतिबद्धता को देखने की जरूरत है. लियोन ने कहा कि अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवीय मदद करने के लिए रास्ते तलाशने चाहिए.
लियॉन्स ने कहा कि मेरी राय है कि अफगानिस्तान में पैसों के आवागमन को बाधित नहीं होने देना चाहिए. यदि पैसों का फ्लो बना रहेगा तो अर्थव्यवस्था और समाज को बिखरने से बचाया जा सकेगा. हालांकि यह भी कहा कि ध्यान रखने की जरूरत है कि उस रकम का बेजा इस्तेमाल तालिबान की ओर से न किया जा सके. जान लें कि अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक के पास 9 अरब डॉलर का रिजर्व है. इसमें से बड़ा हिस्सा अमेरिका के पास जमा है.
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