Patna : इस समय बिहार क्रिकेट एसोसिएशन काफी चर्चा में है. क्योंकि एसोसिएशन में काफी कुछ गड़बड़ चल रहा है. एक तो टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं चल रहा . वहीं बिहार क्रिकेट एसोसिएशन खिलाड़ियों के चयन को लेकर विवादों में घिर गया है. इस महीने बिहार ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के अपने अंतिम मैच में प्लेइंग इलेवन में आठ बदलाव किए. बावजूद इसके टीम को जीत हासिल नहीं हुई. इतना ही नहीं वह नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम और अरुणाचल जैसी नयी टीमों से पीछे रही. नया मामला बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी के विवादों में घिरने का है. प्रदेश भाजपा के पूर्व कोषाध्यक्ष पर पैसा लेकर खिलाड़ियों के चयन का आरोप है.
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कहा जा रहा है कि उनपर रेप का भी एक मामला दर्ज है. जानकारी के अनुसार उनके खिलाफ एक प्लेयर मैनेजमेंट फर्म के मालिक ने दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस थाने में यौन उत्पीड़न की प्राथमिकी में दर्ज करायी है. उनके सहयोगियों ने आरोप लगाया है कि वह अपने घर पर महत्वपूर्ण चयन बैठकें करते हैं. अधिकारियों और कोचों का कहना है कि जिन्होंने तिवारी की बात नहीं मानी, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.जानकारी के अनुसार घरेलू सत्र की शुरुआत बीसीसीआई की एज ग्रुप टूर्नामेंट में दो अंडर-19 टीमों के प्रवेश के साथ हुआ. दोनों ने बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया. इस दौरान लगातार बदलाव होते रहे.
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बीते सिंतबर से अबतक 62 क्रिकेटरों ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया. यही नहीं तीन कोच और एक चयनकर्ता को भी कुछ ही माह के भीतर बदल दिया गया.इस सभी बातों को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन काफी चर्चा में हैं.ऐसे में बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी पर टीम के चयन में हस्तक्षेप का आरोप है.बिहार के पूर्व फर्स्ट क्लास खिलाड़ी और कोच तरुण कुमार ने राकेश तिवारी पर चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए कहा, “नौकरशाहों, राजनेताओं, व्यापारियों के रिश्तेदारों को समायोजित करने के लिए बार-बार अनुरोध किया जाता था. इस तरह के अनुरोध नियमित रूप से तिवारी करते थे. मैं इससे सहमत नहीं था और मुझे बर्खास्त कर दिया गया.