- मानसून सत्र के पहले मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
Ranchi : झारखंड जनाधिकार महासभा ने विधानसभा के मानसून सत्र के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर राज्य के दलित समुदाय (अनुसूचित जाति) के मुद्दों के समाधान की मांग की है. पत्र में कहा है कि सबसे ज्यादा उत्पीड़ित- वंचित समाज की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. लेकिन दुःख की बात है कि दलितों के मुद्दों के प्रति राज्य सरकार में प्रतिबद्धता नहीं दिख रही है. महासभा विभिन्न विधायकों से मिलकर भी इन मुद्दों व मांगों पर चर्चा कर रही है.
इन मुद्दों के निदान का मुख्यमंत्री से किया आग्रह
- अनुसूचित जाति में बड़े पैमाने पर भूमिहीनता और आवासहीनता है. कई जगहों पर बहुत से परिवारों के पास भूमि है, लेकिन दबंगों और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें अपनी ही जमीन से बेदखल करने की कोशिश चलती रहती है.
- अनुसूचित जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जाति प्रमाण पत्र न होने के कारण वे कई योजनाओं, शिक्षा व रोजगार से पूरी तरह वंचित हैं.
- झारखंड में आबादी के अनुपात में अनुसूचित जाति को आरक्षण नहीं मिला है. जो आरक्षण हासिल है, वह भी पूरी तरह से नहीं दिया जा रहा है.
- अनुसूचित जाति विकास निगम में दलित उद्यमी अनुदान और कर्ज के लिए आवेदन देते हैं लेकिन उनके आवेदन पड़े रहते हैं. अनुसूचित जाति विकास निगम निष्क्रिय और निष्प्रभावी बना हुआ है.
- थानों में SC- ST Act के तहत केस दर्ज कराने में भी आनाकानी होती है. अगर कुछ मामले दर्ज होते भी हैं, तो उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाती.
- अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित उद्यमी रोजगार योजना की रकम अन्य मदों में खर्च कर दी जाती है.
- अनुसूचित जाति के हित से जुड़े संस्थान निष्क्रिय हैं. आयोगों, बोर्डों आदि में अनुसूचित जाति के समर्थ लोगों की उपस्थिति नहीं के बराबर है.
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