Chandwa : चंदवा प्रखंड क्षेत्र में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो हैं, लेकिन वहां न डॉक्टर हैं और न सफाईकर्मी. पंचायत के अंबाटांड़ में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए लाखों रुपये की लागत से दो मंजिला स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन का निर्माण कराया गया था, लेकिन सही तरीके से देखरेख नहीं हो पाने से भवन जर्जर होता जा रहा है. केंद्र में डॉक्टर और चिकित्सा कर्मियों कब आते हैं और कब जाते हैं, किसी को पता ही नहीं चलता. देखरेख के अभाव में परे कैंपस में झाड़ियां उग आयी हैं और अस्पताल भवन झाड़ियों में गुम हो गया है.
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स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर कभी आते ही नहीं
ग्रामीण बताते हैं आज तक कभी भी कोई डॉक्टर इस केंद्र पर मरीजों का इलाज करने नहीं आये हैं. कभी कभार नर्स आ जाती है, इससे ग्रामीणों को किसी तरह का स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है. झारखंड आंदोलनकारी जितेंद्र सिंह कहते हैं क्षेत्र के चेटर, लोहरसी, अंबाटांड़ जैसी जगहों पर स्वास्थ्य उपकेंद्र तो हैं, लेकिन वहां न डॉक्टर है और न चिकित्सा कर्मी. सरकार अस्पताल भवनों का निर्माण तो कराती है, लेकिन न डॉक्टर नियुक्त करती है और न चिकित्साकर्मी. यह ग्रामीणो को ठगने जैसी बात है. सरकार को चाहिए कि ऐसे भवन जो देख रेख के अभाव में बर्बाद हो रहे हैं, वहां जॉक्टर- चिकित्साकर्मियों की नियुक्ति करे, ताकि भवन बर्बाद न हों और लोगों को स्वास्थाय सुविधाएं मिल सकें, बेहतर इलाज हो सके.
बिना सरकार की स्वीकृति के ही बन गया भवन
अंबाटांड स्वास्थ्य उप केंद्र के संबंध में सीएचसी प्रभारी डॉ नंद कुमार पांडेय कहते हैं- मैं भी चिंतित हूं, पर क्या बताऊं, अस्पताल भवन तो बन गया है, लेकिन सरकार से स्वीकृति प्राप्त ही नहीं है, जिस कारण वहां किसी डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों की नियुक्ति ही नहीं हो पा रही है. यहीं वजह है कि ग्रामीणों को स्वास्थ्य केंद्र से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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