Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में संचालित अखिल भारतीय समन्वित मसाला फसल परियोजना के सौजन्य से वीर बुधु भगत के गांव सिलागाईं में मसाला फसलों की उन्नत खेती पर पहली बार एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. शहीद वीर बुधु भगत के वंशज के आवासीय परिसर में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिलागाईं गांव के 60 से अधिक जनजातीय किसानों ने भाग लिया. मौके पर परियोजना अन्वेषक डॉ अरुण कुमार तिवारी ने सिलागाईं गांव की कृषि पारिस्थितिकी के उपयुक्त खेती की संभावनाओं को बताया. धनिया, मेथी और पालक की उन्नत पैकेज प्रणाली के बारे में बताया.
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वैज्ञानिकों ने छाया में मसाला फसलों की खेती की तकनीक बतायी
मौके पर उद्यान वैज्ञानिक डॉ पवन कुमार झा ने छाया में मसाला फसलों की सफल खेती तकनीक तथा अदरख, हल्दी एवं ओल की वैज्ञानिक खेती के बारे में बताया. बीएयू के वैज्ञानिकों ने जनजातीय किसानों से गांव की खेती योग्य भूमि, सिंचाई साधन, परंपरागत खेती तकनीक, खेती के संसाधन और कृषि कार्यों में आ रही समस्याओं को जाना और तकनीकी परामर्श दिया. मौके पर मसाला परियोजना के सहयोगी स्टॉफ मनोज कुमार ने मसाला फसलों की खेती के व्यावहारिक पहलुओं तथा किसानों की जिज्ञासा का समाधान किया. कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागी किसानों को मसाला फसल जनजातीय उपपरियोजना (टीएसपी) के तहत धनिया (सुरभि किस्म), मेथी (ग्रीन लीफ) एवं पालक (पूसा ज्योति ) के दो- दो सौ ग्राम बीज का वितरण किया गया.
मिल्लेट्स फसलों में मड़ुआ, गुंदली एवं ज्वार को विशेष प्राथमिकता : कुलपति
कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने सिलागाईं गांव में बीएयू वैज्ञानिकों के लगातार भ्रमण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया है. उन्होंने प्रदेश के महान वीर नायकों के गांवों तक आधुनिक कृषि तकनीक के विस्तार का संकल्प जताया है. कुलपति ने वैज्ञानिकों को सिलागाईं गांव में आगामी गरमा, खरीफ एवं रबी मौसम के उपयुक्त फसलों के तकनीकी हस्तांतरण से आच्छादन में बढ़ोतरी और किसानों की आय में बढ़ोतरी की बात कही. इन कार्यक्रमों में मिल्लेट्स फसलों में मडुआ (रागी), गुंदली एवं ज्वार को विशेष प्राथमिकता देने को कहा.
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