Patna : बिहार एनडीए में तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक बार फिर जेडीयू को चेताया है. उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा कि जनता दल यूनाइटेड को गठबंधन धर्म का पालन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्विटर-ट्विटर खेलना बंद करना चाहिए. अगर प्रधानमंत्री के साथ जेडीयू के नेता ट्विटर-ट्विटर खेलेंगे, तो बिहार के 76 लाख बीजेपी कार्यकर्ता इसका जवाब देना जानते हैं.
एकतरफा अब नहीं चलेगा
संजय जायसवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी का जिक्र करते हुए कहा कि माननीय जी को यह समझ आ गया कि एनडीए गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है, इसलिए हम सभी को साथ चलना है. फिर बार-बार महोदय मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग करके ना जाने क्यों प्रश्न करते हैं. एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए. यह एकतरफा अब नहीं चलेगा.
प्रधानमंत्री से ट्विटर -ट्विटर ना खेलें
इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर -ट्विटर ना खेलें. प्रधानमंत्री जी प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी. उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए. टि्वटर-टि्वटर खेलकर अगर उन पर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे.
इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
उन्होंने इशारों-इशारों में जेडीयू को चेताया और कहा कि आप सब बड़े नेता हैं. एक बिहार में और दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. फिर इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गये पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें, इससे ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता. दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं, क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है, जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है. हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. लेकिन, हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा आने वाली पीढ़ियों को बतायी जाए.
पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं
संजय जायसवाल ने कहा कि 74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई, जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो. पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं, उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया, क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं है. जबकि चाहे वो हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों हेट स्पीच, सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है, बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से हिचकती नहीं है. इसलिए सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा जी को मेरे FIR के आलोक में गिरफ्तार करें और फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलवाये. उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सभी की बात रखे कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए.
यथार्थ बताना हम सभी का दायित्व
कहा कि बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले, यह सिर्फ हमारी जिम्मेवारी नहीं, बल्कि आप की भी है. अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें. हमारे केंद्रीय नेताओं से कुछ चाहते हैं तो उनसे भी सीधे बात होनी चाहिए. हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाये. अभी भेड़िया स्वर्ण मृग की भांति नकली हिरण की खाल पहनकर अठखेलियां कर जनता को आकृष्ट कर रहा है. एक पूरी पीढ़ी जो 2005 के बाद मतदाता बनी है, वह उन स्थितियों को नहीं जानती और बिना समझे कि यह रावण का षड्यंत्र है, स्वर्ण मृग पर आकर्षित हो रही है. यथार्थ बताना हम सभी का दायित्व भी है और कर्तव्य भी.
इसे भी पढ़ें – झारखंड नरेगा ऑडिट में खुलासा: मजदूर लापता और मास्टर रोल में सिर्फ ठगी, JCB से हो रहा काम