Bokaro : जिले के चास अनुमंडल अस्पताल में मरीज का इलाज मोमबत्ती की रोशनी से की जा रही है. इस अस्पताल में भर्ती मरीज भगवान के भरोसे ही है. बोकारो के सबसे पॉश इलाके में चास उपनगर है. जिसकी आबादी करीब 4 लाख हैं. इस उपनगर में एकमात्र सरकारी अस्पताल चास अनुमंडल अस्पताल है. जो भी बदहाली का शिकार है.
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जनरेटर में डीजल नहीं के बराबर
अस्पताल में बिजली चली जाने के बाद यहां लाइटिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. रात में बिजली चली जाने से पूरा परिसर अंधेरे में तब्दील हो जाता है. मरीज मोमबत्ती जलाकर और मोबाइल की टॉर्च जलाकर किसी तरह गुजारा करते है. ऐसा नहीं है कि इस अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था नहीं है. लेकिन जनरेटर में डीजल नहीं के बराबर रहता है. एकमात्र सहारा इनवर्टर है, लेकिन लंबे समय तक बिजली नहीं रहने के कारण वो भी जवाब दे देती है. अस्पताल की स्थिति इतनी दयनीय है कि महिला शौचालय में दरवाजा तक नहीं है. जबकि इस अस्पताल में महिला मरीज की संख्या अधिक रहती है. मरीज के परिजनों का कहना है कि रात में बिजली चली जाने के बाद पूरा अधेरा छा जाता है.
टीम का गठन कर जांची करायी जायेगी
वहीं जब इस बारे में लगातार मीडिया एवं शुभम संदेश के द्वारा बोकारो के सिविल सर्जन को जानकारी दी गई तो सिविल सर्जन ने कहा कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है. मामले की जानकारी ली जाएगी और इस पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में आयुष्मान के तहत डीजल की व्यवस्था रहती है ऐसे में डीजल की कमी तो नहीं है फिर भी अंधेरा क्यों हैं. इस बारे में जानकारी ली जायेगी. महिला शौचालय में दरवाजा नहीं रहने पर उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है. टीम का गठन कर इसकी जांच कराई जाएगी.मालूम हो कि बोकारो अभी हाय फीवर तथा डेंगू की चपेट में है.
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