Ghatshila : विलुप्त होती सबर जनजाति के लोगों की जीविका का मुख्य साधन साल के प्राकृतिक जंगल है. यदि साल के जंगल न हो तो इनके जीवन की गाड़ी ठहर सी जाएगी. सबर महिलाओं के लिए साल के जंगल वरदान साबित हैं. ये जंगल इन्हें सालों भर रोजगार मुहैया कराते हैं. महिलाएं साल के पत्तों से पत्तल बनाकर आय प्राप्त करती हैं. चाकुलिया प्रखंड की चालुनिया पंचायत के भंडारू समेत अन्य कई गांव की सबर महिलाएं इन दिनों साल पत्तों से पत्तल बनाने में व्यस्त है. गांव से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित साल जंगल से महिलाएं साल के पत्तों को तोड़ कर लाती हैं और पत्तों से पत्तल बनाती हैं.
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एक महिला प्रतिदिन 800 से 1000 तक बनाती है पत्तल
साल पत्तों से पत्तल बनाने में व्यस्त नमिता सबर, सेफाली सबर और लखी सबर कहती हैं कि वे जंगल से साल पत्तों को तोड़ कर उससे पत्तल बनाती हैं. एक महिला प्रतिदिन 800 से 1000 तक पत्तल बना लेती हैं. इन पत्तलों को वे एक हजार प्रति पत्तल 150 रुपए की दर से बेचती हैं. महिलाओं ने बताया कि इन दिनों वे बनाए गए पत्तलों की आपूर्ति तुलसीबनी के शिवराम आश्रम में करती हैं. साल जंगल से उन्हें वर्षा के दिनों में मशरूम भी मिलता है. मशरूम बेचकर भी वे आय प्राप्त करती हैं. इसी तरह साल जंगल से कुछ दिनों बाद साल के बीज भी प्राप्त होंगे, क्योंकि साल के वृक्ष में अब फूल लगने शुरू हो गए हैं. साल के बीज बेचकर भी वे आमदनी प्राप्त करती हैं.
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